नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दौरान पुरी दुनिया जब एक अदृश्य दुश्मन से जूझ रही थी, तब भारत के साइंटिस्टों ने कम वक्त में जीवनदायिनी वैक्सीन बनाकर कैसे करोड़ों लोगों की जान बचाई, विवेक अग्निहोत्री की नई फिल्म ‘द वैक्सीन वॉर’ इस शौर्य गाथा को विस्तार से बताने जा रही है, जिसे सफल बनाने में 70 फीसदी महिलाओं का योगदान था.
‘द वैक्सीन वॉर’ की टीम ने News18 Hindi के पत्रकार अमन चोपड़ा से खास बातचीत में खुलकर बातें कीं. जब विवेक अग्निहोत्री से पूछा गया कि यह फिल्म बनाने के पीछे की सोच क्या थी, क्या इसे भी प्रोपेगैंडा बता दिया गया है, तो वे तपाक से बोले, ’22 मार्च को पूरा भारत यह सोच रहा था कि हम बचेंगे या नहीं. 130 करोड़ की जनसंख्या है, आस-पास रहते हैं. अमेरिका की तरह सिस्टमैटिक नहीं है, हेल्थ इंडैक्स में भी हम पीछे हैं. डॉक्टर-मरीज का अनुपात ऐसा है कि सुन कर चक्कर आ जाए. ऐसे हालात में, लोगों ने सोच लिया था कि भारत खत्म हो जाएगा.’
कोरोना महामारी पर भारत की विजय की गाथा
विवेक अग्निहोत्री आगे कहते हैं, ‘फार्मा लॉबी को लगा कि इससे अच्छा बिजनेस नहीं हो सकता. 70 सालों से जो प्रथा चली आ रही थी कि ब्लैकमेल करके भारत के इंट्रेस्ट को दरकिनार करके अपने फायदे के लिए सोचा जाए, उसे कुछ लोगों ने चुनौती दी. वे घुटने टेकने के बजाय जोखिम उठाने को तैयार हो गए और वैक्सीन बनाकर अपने लोगों को बचाने की ठान ली. नतीजा यह हुआ कि 7 महीने में एक वैक्सीन बन गई.’
28 सितंबर को रिलीज होगी फिल्म
‘द वैक्सीन वॉर’ उन डॉक्टर्स और महिलाओं की शौर्य गाथाओं को बयां करती है, जिसने कोविड-19 महामारी को हराकर भारत को हेल्थ का वर्ल्डकप जिताया. फिल्म के लीड एक्टर नाना पाटेकर भी कोरोना महामारी की जंग में हिस्सा लेने वाली 70 फीसदी महिलाओं को असली स्टार मानते हैं. बता दें कि ‘द वैक्सीन वॉर’ 28 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो जाएगी.
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Tags: Vivek Agnihotri
FIRST PUBLISHED : September 26, 2023, 23:57 IST