
गोरखपुर गीता प्रेस।
– फोटो : अमर उजाला।
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दुनिया भर में प्रसिद्ध गीता प्रेस अपनी पुस्तकों के माध्यम से सिर्फ धर्म का प्रचार-प्रसार ही नहीं करता, महिलाओं को कर्तव्य का बोध भी कराता है। वर्ष 1937 में गीता प्रेस से महिलाओं पर आधारित पुस्तकों का प्रकाशन शुरू हुआ। महिलाओं पर अब तक प्रकाशित सात पुस्तकों की प्रतियों की संख्या 85 लाख को पार कर गई है।
गीता प्रेस से अब तक विभिन्न विषयों की 1800 पुस्तकों की 73 करोड़ प्रतियां छप चुकी हैं। इनमें महिलाओं से संबंधित पुस्तकों का भी विशेष स्थान है। महिलाओं के लिए प्रकाशित पुस्तकों में, गृहस्थ आश्रम में कैसे रहें, नारी धर्म, स्त्रियों के लिए कर्तव्य शिक्षा, नारी शिक्षा, स्त्री धर्म प्रश्नोत्तरी, आर्दश नारी सुशीला और दांपत्य जीवन का आदर्श शामिल है।
महिलाओं के लिए प्रकाशित पुस्तकें
- गृहस्थ में कैसे रहें : 18,45,000 प्रतियां।
- नारी धर्म : 15,79,750 प्रतियां।
- स्त्रियों के लिए कर्तव्य शिक्षा- 13,97,000 प्रतियां।
- नारी शिक्षा- 11,83,000 प्रतियां।
- स्त्री धर्म प्रश्नोत्तरी- 10,50,000 प्रतियां।
- आदर्श नारी सुशीला- 10,21,750 प्रतियां।
- दांपत्य जीवन का आदर्श- 4,25,000 प्रतियां।
गीता प्रेस के प्रबंधक डॉ. लालमणि तिवारी ने कहा कि गीता प्रेस से महिलाओं को केंद्र में रखकर लगभग 85 वर्ष से पुस्तकों का प्रकाशन हो रहा है। सभी पुस्तकें महिलाओं को कर्तव्य का बोध कराती हैं। इन पुस्तकों की बाजार में अच्छी मांग है।