मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित तौर पर नकली कलाकृतियों के व्यापार और नकली को असली कलाकृति साबित करने के लिए जाली प्रमाणपत्र तैयार करने में शामिल एक गिरोह के खिलाफ मुंबई में छह स्थानों पर तलाशी ली। जालसाजों में कई प्रमुख कला दीर्घा (आर्ट गैलरी) और व्यक्तियों के नाम शामिल हैं। एक बयान में ईडी ने कहा कि उसने राजेश राजपाल और अन्य से जुड़े एक मामले में 13 मार्च को मुंबई में छह स्थानों पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत तलाशी ली।
तलाशी के दौरान डिजिटल उपकरण और आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए जिनसे गिरोह के संचालन का खुलासा हुआ। बयान में कहा गया कि यह गिरोह नकली कलाकृतियों के व्यापार और इन्हें असली साबित करने के लिए जाली प्रमाणपत्र तैयार करने समेत प्रमुख कला दीर्घाओं और व्यक्तियों की भागीदारी के जरिये नकदी के माध्यम से धन हस्तांतरित करने में शामिल है।
ईडी ने भारतीय दंड विधान (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत ताड़देव पुलिस थाने में दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर अपनी जांच शुरू की, जिसमें पुनीत भाटिया नामक व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि राजपाल और विश्वंग देसाई ने उन्हें धोखा देकर जाली प्रमाणपत्रों के साथ नकली कलाकृति की बिक्री के माध्यम से उनसे 17.9 करोड़ रुपये की ठगी करने की साजिश रची थी।
तलाशी के दौरान ईडी ने कथित तौर पर दक्षिण मुंबई की एक प्रमुख कला दीर्घा, जाने-माने कॉरपोरेट वकीलों और सराफा व्यापारियों से जुड़े एक गिरोह का पर्दाफाश किया जो कथित तौर पर मूल कलाकृति की नकल को असली के रूप में पेश करते थे। इन कलाकृतियों में जैमिनी रॉय, मकबूल फिदा हुसैन, एफ एन सूजा, जहांगीर सबावाला, एस एच रजा, एन एस बेंद्रे, राम कुमार और अन्य मशहूर कलाकारों की जाली कलाकृतियां शामिल थीं।
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