अभिषेक जायसवाल/वाराणसी . दुर्गा पूजा उत्सव के बाद अब मां के विदाई का वक्त आ गया है. विजयादशमी पर मां दुर्गा की विदाई होती है. धर्म की नगरी काशी में पूरे रीति रिवाज के साथ मां दुर्गा को बेटी जैसा प्यार और दुलार दिया जाता है. विदाई के वक्त बिल्कुल वैसे ही रस्में होती है जैसा बंगाली समाज में बेटी को मायके से विदाई के वक्त किया जाता है. सुहागिन महिलाएं मां दुर्गा को दही चूड़ा और सिंदूर लगाती है और फिर मां के साथ सिंदूर की होली खेल खुशी-खुशी उन्हें विदाई देती है.
दशहरा पर वाराणसी के तमाम पूजा पंडालों में सिंदूर खेला की रस्में निभाई गई. सुहागिन महिलाओं ने मां को सिंदूर चढ़ा कर आपस में जमकर सिंदूर की होली खेली गई. इसके साथ ही कुछ जगहों पर धुनुची नृत्य का आयोजन भी हुआ. ऐसी मान्यता है की ऐसा करने से सुख समृद्धि बनी रहती है.
सिंदूर खेला के बाद विदाई
बताते चलें कि बंगाली समाज में ऐसी मान्यता है कि साल में तीन दिनों से लिए देवी दुर्गा अपने ससुराल से मायके आती है.ऐसे में मायके में उसके साथ उन सभी रस्मों को निभाया जाता है जैसा बेटी के पहली बार ससुराल से मायके आने पर होता है. सुष्मिता मुखर्जी ने बताया कि विजयादशमी पर सिंदूर खेला के बाद ही हमलोग मां को विदाई देते है.
पूरे साल मिलता है आशीर्वाद
आज सुबह से विदाई की इस रस्मों को सभी सुहागिन महिलाएं निभाती है. उसके बाद शाम को देवी को नम आंखों से विदाई दी जाती है और कामना की जाती है कि पूरे साल उनके घरों में उनका आशीर्वाद बना रहे.
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FIRST PUBLISHED : October 24, 2023, 13:20 IST