सत्यम कुमार/भागलपुर. दुर्गा पूजा शुरू हो चुकी है, इसको लेकर शहर की कई जगहों पर प्रतिमा स्थापित की गई है. कहीं, तांत्रिक विधि तो कहीं साधारण पूजा हो रही है. पंडित गुलशन झा ने बताया कि मां को प्रसन्न करने के लिए लोग अलग-अलग तरह के चढ़ावे को चढ़ाते हैं. कोई मिठाई तो कोई बलि चढ़ाता हैं. आपको बता दें कि, सनातन धर्म में मां दुर्गा के नवमी पूजा के दिन माता को बलि चढ़ाने की परंपरा है. ऐसा कहा जाता है की मां दुर्गा को बलि अति प्रिय है. जिसको लेकर लोग अपने मनोवांछित फल को पाने के लिए बलि देते हैं. बलि देने से पहले इसका फुलाइस किया जाता है. आइए जानते हैं क्या है ये फुलाइस.
बिना फुलाइस के मां दुर्गा को नहीं पड़ती है बलि
आपको बता दें कि आप जिस भी चीज की बलि दे रहे होते हैं, तो पहले उसकी फुलाइस (मतलब उस वस्तु) की पूजा की जाती है. जो बलि में काफी महत्वपूर्ण होती है. बिना फुलाइस के मां दुर्गा को बलि नहीं दी जाती है. कई बार जब आप अपने क्षागर को बलि देने के लिए ले जाते हैं, तो आपकी फुलाइस बहुत देर तक नहीं होती है. इसको लेकर, जब पंडित गुलशन झा से बात की गई तो, उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी बात है की फुलाइस मां की मनोकामना होती है. हम लोग मां को मनाते हैं कि हमारा प्रसाद स्वीकार करें. जब तक आप मन को एकाग्र नहीं करेंगे तब तक बलि के लिए फुलाइस स्वीकार नहीं की जाएगी.
फुलाइस करवा रहे हो तो मन नहीं करें विचलित
अरवा चावल को गंगाजल में फुलाकर पहाड़नुमा आकर दिया जाता है और फिर वो चावल बलि के ऊपर रखा जाता है. लेकिन, मां की ऐसी महिमा है कि वह चावल गले पर से ही गिरता है. कहीं और से वह चावल नहीं गिरता है. आप जब फुलाइस करवा रहे हो तो आपको यह ध्यान रखना होगा कि आपका मन विचलित ना हो. अगर आपका मन विचलित होता तो आपका फुलाइस नहीं लिया जाएगा. जो भी मन में मनोकामना हो उसको अपने मन में ले और मां की भक्ति में लीन होने के बाद ही आप का फुलाइस मतलब बलि की पूजा कर पाएंगे.
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FIRST PUBLISHED : October 20, 2023, 12:27 IST