ओम प्रकाश निरंजन / कोडरमा.कोडरमा जिले के झुमरी तिलैया नगर परिषद क्षेत्र स्थित गुमो का दुर्गा पूजा कई मायनों में बेहद खास है. मंदिर के मुख्य पुजारी और पूजा समिति से जुड़े लोगों का दावा है कि यहां करीब 600 वर्षों से दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा है. दुर्गा पूजा में पूरे नवरात्र के दौरान कलश स्थापना से लेकर नवमी तक पूरे 9 दिनों तक यहां बलि देने की प्रथा भी है.
गुमो दुर्गा मंडप के मुख्य पुजारी दशरथ पांडेय ने लोकल 18 से विशेष बातचीत के दौरान कहा कि गुमो में दुर्गा पूजा का इतिहास जिले के अन्य दुर्गा पूजा के साथ कई जिलों के दुर्गा पूजा के मुकाबले सबसे पुराना है. उन्होंने आगे कहा कि पूर्वजों की जानकारी के अनुसार 1300-1400 ई. में गुमो में राजा रतन साईं और मर्दन साई का राज था। राजा के द्वारा ही गुमो में दुर्गा पूजा की शुरुआत की गई थी.
राजा ने दुर्गा पूजा नियमित जारी रखने का किया था आग्रह
दुर्गा मंडप के मुख्य पुजारी दशरथ पांडेय के अनुसार 1700 ई. के आसपास देश में अंग्रेजों के अत्याचार से परेशान होकर राजा परिवार ने गुमो में स्थित अपना राजा किला छोड़कर जाने का निर्णय लिया. इस दौरान गुमो के ब्राह्मण समाज को राजा ने अपनी जमींदारी सौंप कर राजा परिवार के द्वारा राजा गढ़ में शुरू किए गए दुर्गा पूजा को नियमित तौर पर जारी रखने का आग्रह किया था. शुरुआती दौर में राजा गढ़ पर ही दुर्गा पूजा का आयोजन होता था. इसके बाद राजा किला ध्वस्त होने पर 150 वर्षों से राजा गढ़ से 500 मीटर की दूरी पर बने दुर्गा मंडप में दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है. फिलहाल पूजा समिति अन्य लोगों के सहयोग से दुर्गा मंडप परिसर को भव्य और आकर्षक रूप दिया जा रहा है.
पूरे नवरात्र 3000 से अधिक बकरे की बाली
पुजारी दशरथ पांडेय ने बताया बितते समय के साथ राजा का किला भी खंडहर में तब्दील होकर मिट्टी में मिल गया. हालांकि गुमो में राजा किला का स्थान आज भी मौजूद है. जो गुमो में सबसे ऊंचा स्थान है. दुर्गा पूजा में कलश स्थापना के दौरान सबसे पहली पूजा के साथ बकरे की बलि राजा गढ़ में दी जाती है. इसके बाद गुमो के दुर्गा मंडप में कलश स्थापना से लेकर नवमी तक पूरे नवरात्र बकरे की बलि दी जाती है. नवरात्र के पहले दिन यहां करीब 100 बकरे की बलि दी जाती है. जो पूरे नवरात्र जारी रहता है और नवमी के दिन करीब सुबह 4 बजे से 6 बजे तक राजा गढ़ में बकरे की बाली होती है इसके बाद सुबह 10 बजे तक दुर्गा मंडप प्रांगण में बकरे की बलि दी जाती है इस दिन करीब 500 बकरे की बाली होती है. मुख्य पुजारी ने कहा कि पूरे नवरात्र के दौरान तीन हजार से अधिक बकरे की बाली यहां पर होती है.
हस्तलिखित मंत्रों की पुस्तिका से होती है विशेष पाठ
दशरथ पांडेय ने बताया कि पिछले 15 वर्षों से वह दुर्गा मंडप में पूजा करवा रहे हैं यहां जो भी लोग अपनी मनोकामना लेकर यहां आते हैं। उनकी मन्नत पूरी होती है। यहां पर माता का अलौकिक दैवीय शक्ति है। यहां से कभी भी कोई निराश होकर नहीं गया है। उन्होंने बताया कि दुर्गा प्रांगण में नवरात्र का पाठ भी होता है। षष्टी से दुर्गा माता की विशेष पूजा आरंभ हो जाती है। इस दौरान बेल भरण पूजा, नव पत्रिका देवी का आवाहन, प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा होती है। अष्टमी के दिन होने वाले विशेष पाठ में पूर्वजों के द्वारा हस्तलिखित मंत्रों की पुस्तिका से पाठ होता है। इसे सिर्फ दुर्गा पूजा के दौरान पाठ के लिए निकाला जाता है। फिर सुरक्षित रख दिया जाता है.
सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति के पदाधिकारी और सदस्य
अध्यक्ष अशोक पांडेय, उपाध्यक्ष दिनेश सिंह, शिवशंकर पांडेय, सचिव उमाकांत पांडेय, सह सचिव मनोज पांडेय, संजय पांडेय, कोषाध्यक्ष सुनील पांडेय, सह कोषाध्यक्ष राजन पांडेय, कार्यकारिणी समिति में रतन पांडेय, विवेक पांडेय, नवकुमार पांडेय, उज्जवल पांडेय, मुरली पांडेय, इंद्रजीत पांडेय, अभिजीत पांडेय, पंकज पांडेय, पंचम पांडेय, अशोक राय, बच्चू पांडेय, सोमनाथ पांडेय, पंकज पांडेय, पप्पू पांडेय, संरक्षक के रूप में त्रिवेणी पांडेय, मोतीलाल पांडेय, दशरथ पांडेय, सीताराम पांडेय, अजय पांडेय, भारत लाल पांडेय, अनिल पांडेय, सत्यदेव राय, दिलीप वर्मा, शशिकांत पांडेय, दीनानाथ पांडेय, मनोहर राम, राम नरेश पांडेय, विजय पांडेय, शक्तिकांत सिन्हा शामिल हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 11, 2023, 21:23 IST