श्रीनगर. दक्षिण कश्मीर जिले के कोकेरनाग इलाके के गडोले में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में बुधवार सुबह जम्मू-कश्मीर पुलिस के उपाधीक्षक हुमायूं भट्ट शहीद हो गए थे. दहशतगर्दों के साथ एनकाउंटर के दौरान ही उन्हें गोली लग गई थी और जख्मी हालत में ही उन्होंने अपनी बीवी को वीडियो कॉल कर हालात के बारे में जानकारी दी थी और कहा था कि मैं शायद जीवित ना रहूं, तो हमारे बेटे का ख्याल रखना.
जम्मू-कश्मीर पुलिस सेवा (जेकेपीएस) के 2018 बैच के अधिकारी हुमायूं की पिछले साल शादी हुई थी. उनकी पत्नी ने 28 दिन पहले ही बच्चे को जन्म दिया है. किसी भी परिवार के लिए इससे बड़ी त्रासदी नहीं हो सकती है. हुमायूं अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके में उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) थे.
‘मैं शायद जीवित ना रहूं’
डीएसपी भट्ट जब अनंतनाग के कोकेरनाग में मुठभेड़ के समय आतंकवादियों की गोली से जख्मी हुए, उसी दौरान उन्होंने पत्नी फातिमा को वीडियो कॉल किया और अपनी स्थिति के बारे में सारी बातें बताईं. उन्होंने पत्नी से कहा था, “मुझे गोली लग गई है, मैं शायद जीवित ना रहूं. हमारे बेटे का ख्याल रखना.”
वह सुरक्षा अधिकारियों की उस टीम का हिस्सा थे, जो गडोले पर्वतीय क्षेत्र में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद वहां गए थे. आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सेना के कर्नल मनप्रीत सिंह, सेना की 19 राष्ट्रीय राइफल्स इकाई के कमांडिंग अधिकारी मेजर आशीष धोनैक और डिप्टी एसपी हुमायूं भट्ट आतंकियों की गोलीबारी की चपेट में आ गए.
घायल अधिकारियों को निकालने के लिए पैरा कमांडो ऑपरेशन में शामिल हुए. आतंकवादियों की गोलीबारी और पहाड़ी इलाके की अनिश्चितताओं का सामना करते हुए, घायल अधिकारियों को निकाला गया. डीजीपी दिलबाग सिंह और एडीजीपी, विजय कुमार ऑपरेशन की निगरानी के लिए घटनास्थल पर पहुंचे. दुर्भाग्य से, तीनों अधिकारियों का बहुत खून बह गया था और डॉक्टरों द्वारा उन्हें बचाया नहीं जा सका. इन सभी ने राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य में सर्वोच्च बलिदान दिया.
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FIRST PUBLISHED : September 16, 2023, 05:30 IST