DNA: भारत से दुश्मनी..मालदीव्स को कितनी महंगी पड़ेगी? कहीं सीरिया- अफगानिस्तान की तरह न हो जाए हाल

Zee News DNA on Lakshadweep vs Maldives: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अभी हाल ही में लक्षद्वीप गए थे. उन्होंने अपने X पोस्ट में बहुत सारी तस्वीरें भी शेयर की थीं. इन तस्वीरों में लक्षद्वीप की खूबसूरती दिखाई दी. उन तस्वीरों को देखने के बाद लोगों को लगा कि लक्षद्वीप का साफ समंदर और वहां के खूबसूरत Beach की तस्वीरें, Socia Media पर शेयर करके, कोई भी स्टार जैसा महसूस कर सकता है. कई ऐसे लोग भी थे जिन्होंने लक्ष्यद्वीप के सुंदर द्वीपों की तस्वीरें देखकर, उसकी तुलना मालदीव्स से की. 

पीएम मोदी ने जब Social Media पर लक्ष्यद्वीप की अपनी यात्रा से जुड़ी तस्वीरें शेयर की, तो उसके बाद Google पर लक्ष्यद्वीप सबसे ज्यादा Search किया जाने वाले Key Word बन गया. Travel Booking Sites और Travel Agents से लक्ष्यद्वीप और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के Travel Packege के लिए Booking में 3 हजार 400 प्रतिशत का इज़ाफा हो गया.

अब लक्षद्वीप बना लोगों का पसंदीदा ठिकाना

Tourism Industry से जुड़ी कंपनियां, लक्ष्यद्वीप को लेकर नए Travel Plan और Packege बनाने पर विचार करने लगी हैं. जो लोग सुंदर Beaches के लिए Maldives जाने का प्लान कर रहे थे, वो अब लक्ष्यद्वीप, अंडमान-निकोबार का Plan बनाने लगे. Airlines और होटल कंपनियां, नए पैकेज और ऑफर्स लाने की तैयारी कर रही हैं.

अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से घरेलू टूरिज्म को बढ़ावा देने की अपील की थी. उन्होंने लोगों से भारत के ही किसी दूसरे शहर में Destination Wedding plan करने की अपील की थी. 

उनकी अपील के बाद Wedding planners भारत के अलग-अलग शहरों में Destination Wedding के अलग-अलग Plan बना रहे हैं. लक्ष्यद्वीप जाना, पीएम मोदी के उसी प्लान का हिस्सा है, जिसके तहत लोगों को लक्ष्यद्वीप के खबसूरत Beaches के बारे में पता चले. बस यहीं से खबसूरती को लेकर मालदीव्स वर्सेज़ लक्ष्यद्वीप की बहस छिड़ गई. इस बहस में मालदीव्स के कुछ मंत्रियों ने अपनी हदें पार कर दीं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्वीट पर अपनी तरफ से कुछ ट्वीट किए, जो काफी आपत्तिजनक थे.

मालदीव के नेताओं ने बढ़ाया विवाद

इन x पोस्ट में कई बातें कही गई थीं. इसमें पीएम मोदी को इजरायल से जोड़ते हुए, उनका मज़ाक उड़ाया गया है. खुले में शौच जैसे मुद्दे को लेकर भारतीयों का मज़ाक उड़ाया गया है. लक्ष्यद्वीप की व्यवस्थाओं को लेकर भी भारत का मज़ाक उड़ाया गया है. 

शायद मालदीव्स के मंत्रियों को नहीं पता है कि वो जिस देश और उसके प्रधानमंत्री का मज़ाक उड़ा रहे हैं. वो देश, उनके मालदीव्स से छोटे से देश से कहीं ज्यादा बड़ा, विकसित और मजबूत देश है. द्वीप समूहों वाला देश मालदीव्स के लोगों को और वहां की सरकार को पता होना चाहिए कि, वो जिस भारत का मज़ाक उड़ा रहे हैं, उस देश के मात्र एक अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का क्षेत्रफल ही उनसे करीब 30 गुना ज्यादा बड़ा है.

अगर हम केवल Tourism की ही बात करें तो मालदीव्स जैसे देश में केवल समंदर और उसके किनारे हैं. भारत आने वाले हर Tourist को खूबसूरत पहाड़ भी मिलते हैं, समंदर का किनार भी. वैसे मालदीव्स और भारत के बीच कोई तुलना नहीं है.

भारत की मदद से खड़ा हुआ मालदीव

मालदीव्स एक ऐसा देश है, जिसकी GDP का 25 प्रतिशत सीधे तौर पर tourism इंडस्ट्री से आता है. अगर tourism से जुड़े हुए अन्य क्षेत्रों को भी इसमें जोड़ लें, तो मालदीव्स की GDP का 75 प्रतिशत हिस्सा tourism इंडस्ट्री से आता है. मालदीव्स में मिलने वाली 70 प्रतिशत नौकरियां Tourism Industry से ही आती हैं. 

मालद्वीस की Tourism Industry की Growth में सबसे बड़ा हाथ पिछले कई वर्षों से भारत का रहा है. वर्ष 2023 में मालदीव्स जाने के मामले में भारतीय सबसे आगे थे. पिछले साल 2 लाख 9 हजार 198 भारतीय टूरिस्ट मालदीव्स गए थे. यानी पिछले वर्ष हर दिन भारत से 573 सैलानी, मालदीव्स पहुंचे थे. वर्ष 2023 में मालदीव्स जाने वाले सैलानियों के मामले में दूसरे नंबर पर रूस और तीसरे नंबर पर चीन के नागरिक थे.

वर्ष 2023 में मालदीव्स आने वाले सैलानियों में 11.1 प्रतिशत सैलानी भारतीय थे. हालांकि वर्ष 2022 में मालदीव्स आने वाले सैलानियों में भारतीय सैलानियों का हिस्सा 14.4 प्रतिशत और वर्ष 2021 में भारतीय सैलानियों का हिस्सा 23 प्रतिशत था. मतलब ये है कि मालदीव्स की Tourism इंडस्ट्री को चलाए रखने के मामले में भारत एक महत्वपूर्ण देश है. बावजूद इसके मालदीव्स के तीन मंत्रियों ने भारत और भारत के प्रधानमंत्री का लक्ष्यद्वीप की तस्वीरों को लेकर मज़ाक उड़ाया. हालांकि जल्दी ही मालदीव्स की सरकार को अपनी बहुत बड़ी गलती का अहसास हो गया.

बढ़ते विरोध से मालदीव सरकार सकते में

मालदीव्स सरकार ने तीनों मंत्रियों जिन्होंने X पोस्ट पर भारत विरोधी टिप्पणियां की थी, उन्हें निलंबित कर दिया है. इस में मरियम शिउना, मलाशा शरीफ और महज़ूम माजिद शामिल हैं. मालदीव्स सरकार ने ये कदम, इसलिए उठाया है क्योंकि वो भारत का वैश्विक कद जानता है. यही नहीं, वो ये भी जानता है कि वो भारत पर किस तरह से निर्भर करता है. इसकी एक वजह हैशटैग boycott-maldives का Trend होना भी है.

कई सोशल मीडिया PlatForm पर Boycott Maldives Trending topic बना हुआ है. Maldives के टूरिज्म बिजनेस के लिए ये बिल्कुल भी अच्छा नहीं है. यही वजह है कि मालदीव्स सरकार ने अपने तीनों मंत्रियों को उनकी टिप्पणियों के लिए निलंबित कर दिया.

केवल 5 लाख की आबादी का देश मालदीव्स, आज अपनी टूरिज्म इंडस्ट्री के भरोसे, अपने पड़ोसी और पारंपरिक दोस्त भारत को ही आंखें दिखा रहा है. लेकिन मालदीव्स ये भूल गया है कि जिस टूरिज्म इंडस्ट्री के दम पर ये पूरा देश खड़ा है, उसे विकसित करने में भी भारत ने ही अहम रोल निभाया है.

एसबीआई ने दिया मालदीव को सबसे ज्यादा लोन

बहुत कम लोगों को पता होगा कि वर्ष 1982 तक, मालदीव्स के पास अपना खुद का रिजर्व बैक तक नहीं था. जैसे भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है, अमेरिका में फेडरल रिजर्व है, उस तरह से मालद्वीस के पास कुछ नहीं था. लेकिन भारत ने मालदीव्स की मदद करते हुए, State Bank of india ने कई वर्षों तक मालदीव्स के रिजर्व बैंक की भूमिका निभाई.

1982 तक मालदीव्स के विदेशी व्यापार का सारा भुगतान, State Bank of india ही करता था. 1980 के दशक में जब मालद्वीस में टूरिज्म इंडस्ट्री आगे बढ़ी और वहां Resorts बनने लगे, तब SBI ने ही इन प्रोजेक्ट्स को लोन मुहैय्या करवाया था. वर्ष 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान, मालदीव्स में पश्चिमी देशों के सैलानी आना कम हो गए थे, उस दौर में मालदीव्स में विदेशी मुद्रा कोष लगभग खत्म होने के कगार पर आ गया था.

ये देश दिवालिया होने वाला था. उस वक्त IMF ने भी मालदीव्स को नया लोन देने से इनकार कर दिया था. ऐसे वक्त में भारत ने अपना पड़ोसी धर्म निभाया, तब SBI ने मालदीव्स को 100 मिलियन डॉलर उधार दिए थे. आज भी मालदीव्स पर जितना कर्ज है, उसका सबसे बड़ा हिस्सा State Bank of india का है.

मालदीव की मदद में बड़ा योगदान

मालदीव्स को वर्ष 1965 में आजादी मिली थी, उसके बाद से मालदीव्स की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत ने निभाई है. अभी भी मालदीव्स नेशनल डिफेंस फोर्स को भारतीय सेना ही ट्रेनिंग देती है. पिछले 10 वर्षों में भारतीय सेना ने मालद्वीस नेशनल डिफेंस फोर्स के 1500 से ज्यादा सैन्य अधिकारियों को ट्रेनिंग दी है. मालदीव्स नेशनल डिफेंस फोर्स को भारतीय सेना ने ही कई तरह के सैन्य साजोसमान भी दिए हैं. इसमें बख्तरबंद गाड़ियां, ध्रुव हेलिकॉप्टर्स,एयरक्राफ्ट, एंबुलेंस, समुद्री सुरक्षा से जुड़े साजोसामान शामिल हैं.

भारत ने ही मालदीव्स में 10 कोस्टल राडार सिस्टम लगाए हैं. जो मालदीव्स की सुरक्षा का अहम हिस्सा है. मालदीव्स में जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तो भारत ही मदद करता है. वर्ष 2004 में आई सुनामी के वक्त भी भारत ने ही मालदीव्स की मदद की थी. जनवरी 2020 में मालदीव्स में चेचक की बीमारी फैल गई थी, उस वक्त भारत ने दवाइयों के 30 हजार डोज़ भेजी थे. 

2014 में मालद्वीस में पेयजल संकट आ गया था, तब भारत ने ही उसकी मदद की थी. कोरोना महामारी के वक्त भी भारत ने मालदीव्स को 11 हजार करोड़ रुपये की आर्थिक मदद दी थी और 580 टन फूड पैकेट, 6 टन मेडिकल सप्लाई की थी. जनवरी 2021 में भारत ने 3 लाख वैक्सीन डोज़ भेजी थी, भारत ने सबसे पहले मालदीव्स को ही वैक्सीन दी थी. भारत में कोरोना वैक्सीन फाइनल होने के छियानवें घंटे के अंदर ही दवाइयों की पहली खेप भेज दी थी. मालदीव्स के कई अस्पताल,स्कूल-कॉलेज, एयरपोर्ट समेत कई अन्य इंफ्रस्ट्रक्चर्स भारत की ही देन है.

बढ़ती भारत विरोधी विचारधारा से तल्खी

इतना कुछ करने के बावजूद, भारत को मालदीव्स से कुछ नहीं मिला है. पिछले कई वर्षों से मालद्वीस में भारत विरोधी विचाधारा बढ़ती जा रही है. मालदीव्स सरकार के तीन मंत्रियों की ओर से भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ किए गए X पोस्ट, इकलौती घटना नहीं है. बल्कि ऐसे कई मौके आए हैं. जब मालद्वीस में भारत विरोधी नारेबाजी, प्रदर्शन देखे गए.

मालदीव्स के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू के चुनावी एजेंडे में भारत का विरोध करना भी शामिल था. चुनावों के दौरान मुइज्जू के कई चुनावी कार्यक्रमों में India Out Campaign चलाया गया था. पारंपरिक रूप से मालदीव्स के हर राष्ट्रपति ने india First की पॉलिसी अपनाई है. लेकिन मोहम्मद मुइज्जू ने भारत का समर्थन ना करते हुए, उसके विरोध का रास्ता चुना . मालद्वीस का हर राष्ट्रपति, पद ग्रहण करने के बाद,अपना पहला आधिकारिक विदेशी दौरा भारत से शुरू करता रहा है. लेकिन मोहम्मद मुइज्जू वो पहले राष्ट्रपति हैं जो भारत के बजाए, सबसे पहले टर्की गए थे और आज वो चीन के लिए रवाना हो गए हैं.

राष्ट्रपति बनने के बाद ही मोहम्मद मुइज्जू ने सबसे पहले मालद्वीस में मौजूद भारतीय सैनिकों को मालदीव्स छोड़ने की धमकी दे दी थी. उनके ये कदम, यही इशारा कर रहे थे, कि मालदीव्स अब भारत का करीबी ना बनकर, चीन का करीबी बनना चाहता है. 

मोदी के एक दांव से मालदीव बेहाल

वैश्विक राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्यद्वीप टूरिज्म को बढ़ावा देने के पीछे, एक वजह मालदीव्स के राष्ट्रपति को समझाना भी कि वो भारत पर कितना निर्भर करते हैं. भारत से रिश्ते खराब होने पर मालदीव्स में भारतीय सैलानियों की कमी होगी, जिसका बड़ा असर इस देश पर पड़ेगा, जो अब जो खबरें आ रही हैं, उसके हिसाब से देखा जाए तो असर पड़ने भी लगा है.

भारत के लोग इस बात से बहुत आहत हैं कि मालदीव्स के मंत्री, भारत के बारे में इस तरह के बुरे विचार रखते हैं. भारतीय इस बात से नाराज हैं, कि मालद्वीस के मंत्री, उनके देश के प्रधानमंत्री का मज़ाक उड़ा रहे हैं. मालदीव्स की ट्रैवल बुकिंग कैंसिल होने की घटनाएं, केवल छोटे मोटे ट्रैवल एजेंट्स तक ही सीमित नहीं हैं. भारतीय टूरिज्म कंपनियां भी, मालदीव्स टूरिज्म को लेकर अपने हाथ खींच रही हैं.

Travel Agents Association of India भी मानती है कि भारतीयों का पसंदीदा टूरिस्ट स्पॉट मालदीव्स ही रहा है. लेकिन भारत और भारतीयों के लिए अपमानजनक टिप्पणी के बाद लोगों ने मालदीव्स से दूरी बनानी शुरू कर दी है. अबतक 15 हजार से ज्यादा लोगों ने मालदीव्स की बुकिंग कैंसिल करवा दी है. हालांकि एसोसिएशन की अध्यक्ष ये भी मान रही हैं कि मालदीव्स के वो लोग जिनका घर टूरिज्म के इसी बिजनेस से चलता है, उनके मुताबिक मंत्रियों का बयान, उनके अपने विचार हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्ष्यद्वीप के Beaches को बेस्ट जगह माना है. वो लगातार घरेलू टूरिज्म को बढ़ावा दे रहे हैं, और पिछले कुछ समय से रीजनल टूरिज्म भी तेजी से बढ़ा है. जिसमें लक्ष्यद्वीप एक नया विकल्प बनकर सामने आया है.



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