DNA: चीन-पाक-कनाडा पर जयशंकर का डाइरेक्ट अटैक, अब दुश्मनों से निपटने की नीति बदलेगा भारत?

DNA Analysis:  भारत की विदेश नीति को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक न्यूज़ एजेंसी को इंटरव्यू दिया है. जिसमें उन्होंने उन देशों को कड़ा संदेश दिया, जो भारत के खिलाफ साजिशें रचते हैं. ये वे देश हैं जो भारत को बदनाम करने की कोशिश करते हैं. आपको याद होगा, बीते दिनों किस तरह कनाडा ने खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाए थे. खालिस्तानियों का गढ़ बन चुके कनाडा को विदेश मंत्री ने कड़ा संदेश दिया.

पाकिस्तान-चीन को कड़ा संदेश

भारत पड़ोसियों से हमेशा अच्छे रिश्ते चाहता है, लेकिन पाकिस्तान जिस तरह आतंकियों की ढाल बना हुआ है, उसे भी भारत ने आइना दिखाया. साथ ही विदेश मंत्री ने LaC पर चीन के साथ बढ़ते तनाव पर चीन को क्लियर कट मैसेज दिया. विदेश मंत्री ने खालिस्तानियों का गढ़ बन चुके कनाडा की जमकर क्लास लगाई. कनाडा को संदेश दिया कि खालिस्तानियों को पनाह देकर उसे कुछ हासिल नहीं होगा. क्योंकि खालिस्तानी भारत ही नहीं बल्कि कनाडा को भी नुकसान ही पहुंचाएंगे.

भारत अपने स्टैंड पर कायम

कनाडा को ये सख्त संदेश देने की जरूरत इसलिए थी. क्योंकि पिछले वर्ष 18 सितंबर को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट्स का हाथ है. ट्रूडो ने जो गंभीर आरोप लगाए थे, भारत ने उनके सबूत मांगे तो वे एक भी सबूत नहीं दे पाये. तभी से दोनों देशों के बीच रिश्तों में खटास आ गई थी. भारत आज भी अपने स्टैंड पर कायम है, कि कनाडा के आरोप बेबुनियाद है और ऐसा भारत की छवि खराब करने के इरादे से किया गया. खुद Trudeau ने दिसंबर में माना था कि उन्होंने ऐसा बयान इसलिए दिया था, ताकि भारत दोबारा ऐसी कोई कार्रवाई करने की कोशिश ना करे.

विदेश मंत्री ने कनाडा की क्लास लगाई

एक तरह से कनाडा के प्रधानमंत्री ने माना था कि उन्होंने भारत पर आरोप बिना किसी पुख्ता सबूत और जानकारी के लगाए थे. इसलिए आज विदेश मंत्री ने कनाडा की क्लास लगाई. उनका कहना था कि कनाडा की राजनीति में खालिस्तानियों को जरूरत से ज्यादा जगह दी गई है. साथ ही इतनी आजादी खालिस्तानियों को दी गई है, कि वो कनाडा में रहकर भारत के खिलाफ साज़िश रचते हैं. भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते हैं.

खालिस्तानियों के लिए इतना प्यार क्यों?

कनाडा में शरण लेकर बसे खालिस्तानी, वहीं से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते हैं. लेकिन भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के बावजूद ट्रूडो सरकार खालिस्तानियों पर कार्रवाई तक नहीं करती है. दरअसल, कनाडा में जस्टिन ट्रूडो ने गठबंधन सरकार बनाई हुई है. उनकी पार्टी को NDP यानी New Democratic Party का समर्थन हासिल है. NDP के प्रमुख जगमीत सिंह है, जो कि खालिस्तान समर्थक है. हरदीप सिंह निज्जर NDP को राजनीतिक चंदा देता था.

कनाडा खालिस्तानी आतंकियों को दे रहा शरण

बीते कुछ वर्षों में जस्टिन ट्रूडो का खालिस्तानियों के प्रति लगाव कुछ ज्यादा ही बढ़ा है. यही वजह रही कि निज्जर की हत्या से जस्टिन ट्रूडो कुछ ज्यादा ही परेशान हो गए थे. Zee News ने अक्टूबर 2023 में कनाडा में शरणार्थियों को Political Asylum यानी राजनीतिक शरण देने वाले ‘Immigration & Refugee Board’ से पूछा था कि वर्ष 2019 से वर्ष 2023 तक कनाडा से कितने खालिस्तानी अंतंकियों ने शरण मांगी है? यह भी पूछा था कि कनाडा ने कितने खालिस्तानी आतंकियों को अपने देश में शरण दी है. हमारे इसी सवाल का जवाब कनाडा के Immigration & Refugee Board ने email के जरिये दिया. कनाडा के मुताबिक पिछले वर्ष अगस्त 2023 तक कनाडा ने 246 खालिस्तानी आतंकियों को अपने देश में राजनीतिक शरण दी है. यानी प्रतिदिन के हिसाब से कनाडा 1 से ज्यादा खालिस्तानी आतंकी को शरण दे रहा है.

गैंग्सटर्स और आतंकियों को शरण

इतना ही नहीं, कनाडा के मुताबिक वर्ष 2023 में अगस्त तक उसने 159 गैंग्सटर्स और आतंकियों को अपने देश में शरण दी है. यानी कुल मिलाकर वर्ष 2023 में अगस्त तक 405 भारत विरोधी लोग कनाडा में राजनीतिक शरण पा चुके थे. कनाडा ना सिर्फ खालिस्तानियों को अपने यहां शरण दे रहा है, बल्कि खालिस्तानियों को भारत विरोधी गतिविधियों के लिए छूट भी मिली हुई है. इसलिए भारत ने कनाडा को सख्त संदेश दिया है कि जिन खालिस्तानियों का समर्थन ट्रूडो सरकार कर रही है, वो ना सिर्फ भारत बल्कि खुद कनाडा के लिए भी खतरे की घंटी है.

पाकिस्तान को भी बताई हैसियत

भारत ने पाकिस्तान को भी उसकी हैसियत बताई और ये संदेश दिया कि आतंकवाद से उसे कुछ हासिल नहीं होने वाला. ना भारत के साथ उसके रिश्ते सुधरेंगे, ना दुनिया में वो अपनी छवि सुधार पायेगा. ये बात दुनिया से छिपी नहीं है कि पाकिस्तान आतंकियों को भारत में आतंक फैलाने के लिए इस्तेमाल करता है. भारत का मानना है कि पड़ोसियों को बदला नहीं जा सकता, इसलिए उनके साथ हमेशा रिश्ते अच्छे रहने चाहिए. यही वजह रही कि पाकिस्तान से बेहतर रिश्तों के लिए भारत हमेशा तैयार रहा है, लेकिन शर्त ये रखी कि पाकिस्तान पहले आतंकवाद पर लगाम लगाए और अपनी जमीन को आतंकियों की पनाहगाह ना बनने दे. लेकिन इसके लिए पाकिस्तान कभी तैयार नहीं हुआ.

पाकिस्तान अपने मन में कोई गलतफहमी ना पाले..

पाकिस्तान हमेशा ये कोशिश करता रहा है कि आतंकवाद का इस्तेमाल करके वो भारत को इतना मजबूर कर देगा कि भारत उसके साथ बातचीत की टेबल पर आ जाये. लेकिन विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को साफ संदेश दिया कि पड़ोसी पाकिस्तान अपने मन में कोई गलतफहमी ना पाले. पाकिस्तान, आतंकियों को हथियार बनाकर उन्हें भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की जो कोशिशें कर रहा है. वो कभी कामयाब नहीं होगी. क्योंकि आतंकवाद का समर्थक बनकर पाकिस्तान खुद बुरी तरह फंस चुका है.

– TTP यानी तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान, पाकिस्तान के लिए ही मुसीबत बन गया है.
– आतंकियों की वजह से पाकिस्तान FATF की Gray List में बना हुआ है, और उसपर Black List में जाने का खतरा मंडरा रहा है.
– Hafiz Saeed जैसे खूंखार और Most Wanted आतंकी ने राजनीतिक पार्टी बना ली है, और उसके करीबी लोग चुनाव लड़ रहे हैं.
– पाकिस्तान ने अफगान तालिबान का समर्थन किया था, अब उसे अफगान तालिबान भी आंख दिखाते हैं.

पाकिस्तान के साथ चीन को भी संदेश

इसलिए भारत ने पाकिस्तान को संदेश दिया कि आतंकवाद को साथ लेकर चलने से उसे कुछ हासिल नहीं होने वाला. अगर पाकिस्तान को भारत के साथ बेहतर रिश्तों के साथ आगे बढ़ना है तो आतंकवाद और आतंकियों से किनारा करना होगा. तभी भारत पाकिस्तान के साथ बातचीत के टेबल पर आ सकता है. पाकिस्तान के बाद चीन भारत का ऐसा पड़ोसी देश है जिसके साथ भारत का लंबे समय से सीमा विवाद चल रहा है. वर्ष 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के साथ भारतीय सेना की खूनी झड़प हुई थी. तभी से दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने डटी हुई हैं.

चीन का जवाब देने के लिए भारत तैयार

चीन के साथ भारत 3488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है. कई जगह दोनों देशों के बीच आपसी विवाद चल रहा है. इसकी वजह चीन की विस्तारवादी नीति है. जो दूसरे देशों की जमीन हड़पने की कोशिश करता है. लेकिन भारत ने हमेशा चीन की कोशिशों को नाकाम किया है. विदेश मंत्री ने चीन को भी कड़ा संदेश दिया. उन्होंने कहा कि चीन अगर LaC पर आक्रामक होता है तो इसका जवाब देने के लिए भारत तैयार है. अबतक चीन जो माइंड गेम करता था, उसे भारत ने ना सिर्फ बेहतर तरीके से समझा है. बल्कि चीन की हर साज़िश की काट भारत के पास है.

चीन से लंबे समय से विवाद

भारत चीन के साथ अच्छे रिश्ते रखना चाहता है. लेकिन इसके लिए आपसी सम्मान, संवेदनशीलता और साझा हितों को आधार बनाने की जरूरत है. ऐसा करने में चीन ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाता है. इस वजह से दोनों देशों के बीच कई बार सीमा पर विवाद हो चुका है. वर्ष 2017 में भारत और चीन के बीच डोकलाम में विवाद हुआ, जो 70 से 80 दिनों तक चला था. वर्ष 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में चीन और भारतीय सेना के बीच खूनी झड़प हुई थी. अरुणाचल प्रदेश के तवांग पर चीन की निगाहें हमेशा से रही हैं, इसलिए यहां दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है.

चीन मालदीव को बना रहा मोहरा

ऐसे में चीन को साफ संदेश दिया गया है कि दोनों तरफ से सहयोग जरूरी है. तभी बेहतर रिश्तों की तरफ आगे बढ़ा जा सकता है. लेकिन जिस तरह पिछले कुछ वर्षों में चीन ने LaC पर हावी होने की कोशिश की है. उससे ऐसा नहीं लगता कि चीन की नीयत भारत के साथ बेहतर रिश्ते रखने की है. चीन लंबे वक्त से भारत को घेरने की कोशिशें कर रहा है. इन दिनों चीन मालदीव से नजदीकियां बढ़ाकर भारत की घेराबंदी के नए मोर्चे पर काम कर रहा है. ऐसी खबर है कि मालदीव के नए राष्ट्रपति Mohamed Muizzu चीन दौरे पर जाने वाले हैं. अगर, ऐसा होता है तो Mohamed Muizzu मालदीव के पहले ऐसे राष्ट्रपति होंगे जो भारत से पहले चीन के दौरे पर जायेंगे. इसे मालदीव की चीन से नजदीकियों के तौर पर देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि मालदीव से करीबियां बढ़ाकर चीन भारत के खिलाफ String of Pearls वाली साजिश को विस्तार देना चाहता है. लेकिन चीन की हर साज़िश पर अब भारत की नज़र है.



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