तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने मंगलवार को कहा कि द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को अमर बनाया है और जब भी पार्टी सत्ता में आई उसने उनकी प्रसिद्धि फैलाने के लिए कदम उठाए।
स्टालिन ने राज्य के स्वतंत्रता सेनानियों के लिए अचानक देशभक्ति की भावना दिखाने वालों पर जमकर हमला बोला और उन्हें याद दिलाया कि महात्मा गांधी के अंतिम दिन छद्म राष्ट्रवादियों की कहानी बताते हैं।
तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने सोमवार को दावा किया था कि राज्य से संबंधित राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानियों, खासकर मरुथू बंधुओं का दर्जा घटा कर जातीय नेताओं का कर दिया गया है।
इसका परोक्ष रूप से संदर्भ देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने इस साल की शुरुआत में चेन्नई में 34 लाख रुपये की लागत से शहीद बंधुओं की प्रतिमा बनवाई है।
ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के खिलाफ सबसे पहले विद्रोह करने वाले मरुथू बंधुओ को 24 अक्टूबर 1801 को तिरुप्पाथुर किले में सरेआम फांसी दे दी गई थी।
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘जब भी द्रमुक सत्ता में आई, उसने स्वतंत्रता सेनानियों की प्रसिद्धि फैलाने के लिए कदम उठाए हैं। दिवंगत मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने एक ऐतिहासिक उपन्यास थेनपंडी सिंगम ( द लायन ऑफ द साउथ ) में मरुथू बंधुओं के जीवन और बलिदान की प्रशंसा की है।’’
तिरुचिरापल्ली में मरुथू बंधुओं की तस्वीर पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद राज्यपाल ने कहा था कि स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को सिर्फ एक निजी मामला बना दिया गया है।
रवि ने कहा, ‘‘अगर महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल और भगत सिंह भी तमिलनाडु में पैदा हुए होते तो वे भी अपनी-अपनी जाति के नेता बनकर रह गए होते। ऐसी ही स्थिति आज यहां है। मुझे लगता है यह स्वीकार्य नहीं है।’’
मुख्यमंत्री स्टालिन ने सीधे तौर पर किसी का नाम लिए बिना कहा, राष्ट्रपिता के अंतिम दिन उन देशभक्तों के उभरने की याद दिलाते हैं जो विपरीत विचार रखते हुए भी विनम्रता से बात करते हैं। गोडसे (महात्मा के हत्यारे) के बारे में महाकवि सुब्रमण्यम भारती ने अपनी कविता नदिप्पु सुदेसीगल (छद्म राष्ट्रवादी) में उल्लेख किया है।
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