Diwali 2023: उल्लू ही क्यों बना मां लक्ष्मी का वाहन? ये है कहानी

पवन सिंह कुंवर/ हल्द्वानी. हिंदू धर्म में लगभग सभी देवी-देवताओं का वाहन कोई न कोई पशु-पक्षी होता है. मां लक्ष्मी धन-दौलत की देवी हैं. जिस पर इनकी कृपा हो जाए, उसके पास रुपये-पैसे, ऐश्वर्य, समृद्धि की कमी नहीं रहती है. मां लक्ष्मी का वाहन उल्लू होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता लक्ष्मी में उल्लू को ही अपने वाहन के रूप में क्यों चुना. दिवाली (Diwali 2023) पर मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन अगर आपको उल्लू के दर्शन हो जाएं, तो आपका भाग्य खुल जाता है क्योंकि उल्‍लू आर्थिक समृद्धि का सचूक होता है. वहीं तंत्र क्रियाओं में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. दिवाली के समय पर उल्लू के शिकार को रोकने के लिए वन विभाग सक्रिय हो जाता है. इस साल दिवाली 12 नवंबर को है. अब आपको बताते हैं कि मां लक्ष्मी ने उल्लू को ही अपना वाहन क्यों चुना.

कार्तिक अमावस्या को दिवाली (Diwali Puja Vidhi) मनाई जाती है. त्योहार के रात्रिकाल में माता लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं. उत्तराखंड के हल्द्वानी निवासी पंडित नवीन गुरुजी ने ‘लोकल 18’ को बताया कि एक बार देवी लक्ष्मी ने सभी पशु-पक्षियों से कहा कि वह कार्तिक अमावस्या पर धरती पर आएंगी और अपने वाहन का चुनाव करेंगी. उस समय जो भी पशु-पक्षी मुझ तक सबसे पहले पहुंचेगा, मैं उसे अपना वाहन बना लूंगी. कार्तिक अमावस्या पर सभी पशु-पक्षी आंखें बिछाए लक्ष्मी जी की राह देखने लगे. अमावस्या की काली रात में देवी लक्ष्मी जब धरती पर पधारीं, तभी उल्लू ने काले अंधेरे में भी अपनी तेज नजरों से उन्हें देख लिया और तीव्र गति से उनके समीप पहुंच गया. जिसके बाद लक्ष्‍मी जी ने उल्लू को अपना वाहन स्वीकार किया. मां लक्ष्मी को तभी से उलूक वाहिनी भी कहा जाता है.

उल्लू सबसे बुद्धिमान निशाचर पक्षी

गौरतलब है कि भारतीय संस्कृति में उल्लू को लेकर कई मान्यताएं हैं. माता लक्ष्मी की सवारी उल्लू को शुभता और धन संपत्ति का प्रतीक माना जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, उल्लू सबसे बुद्धिमान निशाचर पक्षी होता है.

(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. LOCAL 18 किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)

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