Dil Hai Hindustani : 113 साल पहले अकेले विदेश चली गई थीं सुखना देवी, अब घर लौटा उनका ‘विदेशी’ कुनबा तो…

रिपोर्ट : कृष्ण गोपाल द्विवेदी

बस्ती. पुरखों की यादें और देश की मिट्टी की महक नीदरलैंड के एक परिवार को सात समुंदर पार बस्ती खींच लाई. यह परिवार दो हफ्ते से बस्ती में रहकर अपने पुरखों के यादों को संजो रहा है. बस्ती ज़िले के हर्रैया तहसील के निवतियापुर गांव को नीदरलैंड से आया परिवार अपना गांव बता रहा है. नीदरलैंड से आने वालों में वहां के पुलिस विभाग से रिटायर्ड अधिकारी पण्डित भास्कर रेवती (65), उनकी पत्नी अंचिला रेवती, उनकी तीन बहनें लुईस रेवती, लीला रेवती, मोहिनी रेवती, भाई भद्रसेन रेवती शामिल हैं.

भास्कर रेवती ने कहा उनकी दादी अम्मा सुखना देवी ने बताया था कि उनका जन्म 1888 में बस्ती जिले के छावनी थाना क्षेत्र के निवतियापुर गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम भिखारी कुमार था. 113 वर्ष पहले 21 साल की उम्र में ब्रिटिश शासन काल में 25 मार्च 1909 में उनकी दादी अकेले ही कलकत्ता के रास्ते स्टीमर से दक्षिण अमेरिकी देश के सूरीनाम चली गई थीं. 1965 में दादी सुखना देवी के मौत के बाद उनके पिता शिवगुलाम 1973 में सूरीनाम से हॉलैंड में जाकर बस गए थे. नीदरलैंड के ब्रोकवेगाड जूईड हॉलैंड में आज भी रेवती परिवार रह रहा है.

हिन्दी और हिंदुस्तान के प्रति लगाव

रेवती ने बताया हम लोगों का जन्म सूरीनाम में हुआ था और हमारा परिवार डच बोलता है लेकिन हमारे माता पिता ने हमेशा हम लोगों का हिन्दी और हिंदुस्तान के प्रति लगाव बनाए रखा. माता पिता ने घर में हिन्दी बोलना और सीखना दोनों जरूरी कर रखा था, जिससे हम लोगों का अपने पुरखों की मातृभूमि और हिन्दी से लगाव आज भी कायम है.

नियामतपुर गांव के प्रधान संतोष गुप्ता ने बताया कि गांव में एनआरआई परिवार को देख ग्रामीण काफी उत्साहित हैं और दिल खोलकर सभी आवाभागत कर रहे हैं. देश की संकृति से लोगों को रूबरू करवा रहे हैं. ये विदेशी परिवार हिंदी अच्छी लिख-पढ़ और बोल रहा है. इनके अंदर भारतीय संस्कृति के बारे में काफी उत्सुकता भी है. मैं बस्ती रिकॉर्ड रूम से उनके परिवार से संबंधित कागजात निकलवा रहा हूं.

Tags: Basti news, Indian origin

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