Detail Review: ‘मी टाइम’ कॉमेडी में कुछ ज्ञान की बातें भी हैं

Detail Review: समय का चक्र विचित्र होता है. हिंदुस्तान में तो ऐसा कम ही होता है जहां शादी के बाद स्त्री नौकरी करके घर का खर्च चलाती हो और पति एक हाउस हस्बैंड यानी घर संभालने वाला पति हो. इस परिस्थिति में पति और पत्नी के रोल बदल जाते हैं लेकिन पुरुष को सत्ता संभालने की ट्रेनिंग बचपन से दी जाती है तो वो अपने आप को कहीं कमतर समझने लगता है और बीवी पर शक भी करता है. उसे अपनी सफल बीवी के काम करने से तो परेशानी नहीं है लेकिन घर का काम संभालना उसे छोटा लगता है.

एक अजीब सा संत्रास उसके भीतर समा जाता है और वो मन ही मन कोशिश करता है कि किसी तरह बीवी की कोई गलती पकड़ आ जाये तो मैं उस पर रौब गांठ लूं. वैसे भी इस तरह का रिश्ता कम ही लोग समझ पाते हैं, स्वीकार करना तो बहुत दूर की बात है. नेटफ्लिक्स पर हाल ही में रिलीज़ फिल्म “मी टाइम” एक विचित्र किन्तु मज़ेदार कॉमेडी है जिसमें ऐसे ही एक युगल की कहानी दिखाई गयी है और साथ में उस हाउस हस्बैंड की खुद को समय देने की बेतुकी मांग को भी मस्ती के ज़रिये दिखाया गया है.

निर्देशक जॉन हैम्बर्ग काफी समय से हॉलीवुड में किस्मत आजमा रहे हैं. मी टाइम की कहानी भी उन्होंने ही लिखी है. मीट द पेरेंट्स, मीट द फ़ॉकर्स और लिटिल फ़ॉकर्स जैसी कमाल की कॉमेडी फिल्में उन्होंने लिखी हैं और उनके द्वारा निर्देशित फिल्में जैसे अलॉंग केम पॉली और आय लव यू मैन काफी सफल रही हैं. बडी यानी मित्रों के बीच होने वाली कॉमेडी की ज़रिये जॉन ने इस फिल्म में कुछ छोटे-छोटे, लेकिन महत्वपूर्ण संदेश भी छोड़े हैं.

केविन हार्ट एक हाउस हस्बैंड है जो अपने घर और बच्चों की बेहतरीन तरीके से देखभाल करता है. उसकी पत्नी रेजिना हॉल एक सफल आर्किटेक्ट है. बच्चों के स्कूल में केविन और बच्चों के पिताओं से मिलता है और उनकी ज़िन्दगी को देख कर रश्क करता है. केविन भी चाहता है कि उसे घर परिवार की ज़िम्मेदारियों से कुछ समय के लिए छुट्टी मिले और वो अपने एक पुराने मित्र मार्क व्हाल्बर्ग का 44 वां जन्मदिन मनाने एक सुनसान इलाके में जाता है. पहले तो केविन अपने दोस्त की लाइफस्टाइल देख कर बहुत जलता है लेकिन धीरे धीरे उसे असलियत का अहसास होता है. अपनी बीवी से जलता हुआ केविन उम्मीद करता है कि उसकी बीवी का उसके बॉस के साथ अफेयर निकले लेकिन जब हकीकत से रूबरू होता है तो केविन के पैरों तले की ज़मीन खिसक जाती है.

मी टाइम देखने की कुछ वजहें है – केविन हार्ट का अभिनय. केविन वैसे तो गायक, गीतकार, निर्माता और निर्देशक भी हैं लेकिन उनकी कॉमिक टाइमिंग की वजह से उनका अभिनय बहुत पसंद किया जाता है. छोटे छोटे रोल से शुरू कर के केविन आज इतने बड़े स्टार हैं कि नेटफ्लिक्स पर उनकी स्टैंड अप कॉमेडी के स्पेशल शोज दिखाए जाते हैं. बच्चों से अतिशय प्रेम करने वाले पिता के रूप में केविन सहज लगते हैं और पत्नी की सफलता से जलने की वजह ढूंढते केविन बड़ी ही आसानी से कॉमेडी भी प्रस्तुत करते हैं. उनके दोस्त मार्क व्हाल्बर्ग तो लाजवाब अभिनेता हैं ही. मार्क ने एक पॉप सिंगर के तौर पर अपना करियर शुरू किया था लेकिन आज उन्हें न सिर्फ बेहतरीन कॉमेडी बल्कि कई सशक्त रोल्स के लिए भी याद किया जाता है. हालांकि मार्क का रोल इतना बड़ा नहीं है लेकिन कुछ बेफिक्रे शख्स के रूप में उनका रोल बड़ा मज़ेदार है.

अपने खर्चों के लिए इसकी टोपी उसके सर करने वाले किरदार को अंत में एक अच्छे और सभ्य नौकरीपेशा व्यक्ति की तरह देखने का अपना अलग मज़ा है. रेजिना हॉल का किरदार बहुत ही छोटा है लेकिन कहानी में महत्वपूर्ण है. बाकी किरदार छोटे हैं, अपनी अपनी जगह पर फिट बैठे हैं. अरमांडो के किरदार में मेक्सिको के प्रसिद्ध कलाकार लुइज़ जेरार्दो मेंडेज़, कछुए के प्रति अपना स्नेह दिखाते हुए एक फ़र्ज़ी मोटिवेशनल स्पीकर और पर्यावरण प्रेमी के रूप में नज़र आते हैं.

मी टाइम बेहतर हो सकती थी लेकिन अच्छी बात ये है कि फिल्म में एक दो दृश्यों को छोड़ कोई काल्पनिक घटना नहीं हैकर. मार्क व्हाल्बर्ग द्वारा अरमांडो के जूतों में से सारे बाएं पैर के जूते चुराना एक नया प्रयोग है. फिल्म छोटी है और सब कुछ परिस्थिति जन्य ही है इसलिए इसे दिमाग लगा कर न देखें. इसे एक पूरी तरह से कॉमेडी फिल्म समझ कर देखें और फिर आनंद लेवें. वैसे भी कभी कभी ऐसी फिल्मों को देखना दिमाग के लिए अच्छा होता है.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

जेफ़ कार्डोनि/5

Tags: Film review

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