Depression In Kids: बच्चों में क्यों बढ़ रहा है डिप्रेशन, जानें इससे कैसे बाहर आएं

New Delhi:

Depression In Kids: आधुनिक समय में माता-पिता जब दोनों जॉब करते हैं तो बच्चों को उतना समय नहीं दे पाते जितनी उन्हें जरूरत होती है. यही कारण है कि 10 से 17 साल की उम्र में तेजी से डिप्रेशन बढ़ रहा है. कई बच्चें जो डिप्रेशन का शिकार होते हैं वो आत्महत्या तक की कोशिश कर बैठते हैं. ये गंभीर समस्या है. जिसे समय रहते दूर करने की जरुरत है. लेकिन इसके लिए जरुरी है कि पहले जानें डिप्रेशन क्या होता है, बच्चों में कैसे आता है और फिर जानते हैं कि आप बच्चे को डिप्रेशन से कैसे बाहर रख सकते हैं. बच्चों में डिप्रेशन की बढ़ती संख्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं. यह भी संभावना है कि डिप्रेशन की बढ़ती हुई स्तिति को गहरी समझा ना जाए और बच्चों की भावनाओं और अनुभवों को ध्यान में न रखने के कारण इसे पहचानना मुश्किल हो सकता है.

कुछ मुख्य कारणों में शामिल हो सकते हैं:

परिवारिक तंत्र (Family Dynamics): परिवार में संबंधों की समस्याएं, विवाद, तनाव, और अन्य सामाजिक मुद्दे बच्चों में डिप्रेशन के कारण बन सकते हैं.

शिक्षा और पीठिका (Academic Pressure): बच्चों पर शिक्षा के क्षेत्र में अत्यधिक दबाव डाला जा रहा है और उन्हें ऊचे शैक्षिक मानकों को पूरा करने के लिए ज्यादा दबाव महसूस हो रहा है.

अन्यायपूर्ण व्यवहार (Bullying): बल्लीङ और छात्रों के बीच अन्यायपूर्ण व्यवहार भी डिप्रेशन का कारण बन सकता है.

सोशल मीडिया का प्रभाव (Impact of Social Media): सोशल मीडिया पर तुलना या आत्म-मूल्यांकन की अधिकता बच्चों को डिप्रेशन की दिशा में प्रवृत्ति कर सकती है.

इस स्थिति से बचने और बच्चों को सहायक बनाने के लिए कुछ कदम उचित हो सकते हैं:

खुले और सहयोगी माहौल (Open and Supportive Environment): बच्चों को खुले माहौल में रखना और उनका समर्थन करना महत्वपूर्ण है.

सकारात्मक सोच की बढ़ावा (Promoting Positive Thinking): बच्चों को सकारात्मक सोच को बढ़ावा देना और उन्हें अपने अच्छे पक्षों को पहचानने के लिए प्रेरित करना चाहिए.

समर्थन और साथी (Support and Companionship): उन्हें व्यक्तिगत और सामाजिक समर्थन प्रदान करना और उनके साथ समय बिताना महत्वपूर्ण है.

विशेषज्ञ सहायता (Professional Help): यदि डिप्रेशन गंभीर है, तो एक मानव संबंधित पेशेवर की सहायता लेना चाहिए.

बच्चों के साथ संवाद करना, उनकी भावनाओं को समझना, और सहायक कदम उठाना महत्वपूर्ण है ताकि वे स्वस्थ और सुरक्षित महसूस कर सकें.

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