अदालत।
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क्राइम ब्रांच और फूलपुर पुलिस ने 10 साल पहले अंतरराज्यीय चार तस्करों से 7.80 क्विंटल गांजा बरामद दिखाकर अपनी पीठ तो खूब थपथपाई, लेकिन कोर्ट में यह कहानी औंधे मुंह गिरी। गांजा थाने में ही सड़ गया। चारों आरोपी बरी हो गए। सीओ समेत 11 गवाहों में से सिर्फ एक की गवाही हुई। पुलिस वह ट्रक, कार और स्कूटी भी नहीं दिखा पाई, जिससे तस्करी का दावा था। कोर्ट ने दोषी पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
फूलपुर थाने के तत्कालीन प्रभारी कुशल पाल यादव और क्राइम ब्रांच के प्रभारी ओम शंकर शुक्ला की टीम ने 20 अप्रैल 2014 को सरैया तिराहे से मिनी ट्रक और ऑल्टो कार से 7.80 क्विंटल गांजा बरामदगी का दावा किया था। बहरिया मुबारकपुर निवासी अशोक जायसवाल व दीपक जायसवाल, मुट्ठीगंज के रमाकांत विश्वकर्मा और तिलाई (मिर्जापुर) के तेजधर मिश्रा की गिरफ्तारी हुई थी। फरार दो आरोपियों की पहचान कांस्टेबल गुलाम शबीर ने विपिन जायसवाल और त्रिशूल चंद्र के रूप में की थी।
सीओ अलका धर्मराज के समक्ष आरोपियों की तलाशी ली गई। दरोगा गजानंद चौबे ने चारों आरोपियों के खिलाफ नार्कोटिक्स एक्ट की धाराओं में आरोप पत्र दाखिल किया। 10 साल चले मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष तत्कालीन सीओ, क्राइम ब्रांच के प्रभारी, विवेचक समेत 11 गवाहों में से सिर्फ मुकदमा लिखाने वाले कुशल पाल यादव को ही पेश कर सका। बतौर सुबूत फर्द बरामदगी पेश की गई।