Coronavirus JN.1 Explainer: कोरोना का यह वेरिएंट क्यों वैक्सीन को भी दे रहा है मात, वैज्ञानिक भी हुए हैरान

Coronavirus JN.1 News:  याद करिए 2021 के उस साल को. पूरी दुनिया में शायद ही ऐसा कोई परिवार रहा होगा जिन्होंने कोरोना की वजह से अपनों को ना खोया हो. कोरोना महामारी ने भौगोलिक सीमाओं को तोड़ दिया था.  अगर ऐसा ना हुआ तो इस वायरस का शिकार सिर्फ और सिर्फ चीन हुआ होता. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना वायरस का चीन से रिश्ता है. यह बात अलग है कि चीन ने कोरोना वायरस जानबूझ कर फैलाया गया या महज एक हादसा था. इन सबके बीच कोरोना वायरस कई दफा अपने रूप और रंग को बदल चुका है. अब एक बार फिर चिंता की बड़ी लकीर माथे पर खींच गई है. कोरोना के नए वेरिएंट को JN.1 नाम दिया गया है और लक्जमबर्ग के साथ साथ इंग्लैंड, आइसलैंड, फ्रांस और अमेरिका में इसकी पहचान की गई है. बता दें कि अच्छी बात यह है कि अभी तक भारत में इस वेरिएंट का फिलहाल कोई केस नहीं है. लेकिन जिस तरह से इसके बेहद संक्रामक होने की बात कही गई उससे चिंतित होना लाजिमी है.

JN.1 बेहद संक्रामक

कोविड के दूसरे वेरिएंट की तुलना में इसे ज्यादा संक्रामक बताया जा रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि JN.1,XBB.1.5 और HV.1 से अलग है. अगर कोरोना के इन दोनो स्ट्रेन की बात करें तो अमेरिका में वैक्सीन का बूस्टर डोज XBB.1.5 और HV.1 के खिलाफ लड़ाई लड़ने में कारगर है. लेकिन JN.1 पूरी तरह अलग है. XBB.1.5 और HV.1 में अब तक 10 म्यूटेशन यानी बदलाव हुए हैं. जबकि XBB.1.5 की तुलना में JN.1 में 41 बदलाव हुए हैं. ज्यादातर बदलाव स्पाइक प्रोटीन से संबंधित हैं, सबसे बड़ी बात यह है कि बेहद संक्रामक होने के साथ साथ वैक्सीन भी असरकारी नहीं है. न्यूयॉर्क स्थित बफैलो यूनिवर्सिटी के डॉ थॉमस रुसो का कहना है कि यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता से खुद को बचा लेता है, इसका अर्थ यह है कि अगर कोई JN.1 की चपेट में आया तो उसके लिए मुश्किल के दिन आने वाले हैं. कुछ आंकड़ों के मुताबिक JN.1 में 41 तरह के म्यूटेशन की वजह से वैक्सीन भी कम असरकारी हैं.

पूरी दुनिया में 77 करोड़ हुए थे संक्रमित
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर कोरोना के अब तक 77 करोड़ केस दर्ज किए गए हैं. इन 77 करोड़ मामलों में 69 लाख लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. अगर दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों की बात करें तो अमेरिका में 10 करोड़ कंफर्म केस आए थे जिनमें 11 लाख लोगों की जान चली गई. चीन में 9 करोड़ केस सामने आए थे और सवा लाख लोगों की मौत हुई. भारत में 4.5 करोड़ केस सामने आए और पांच लोगों की जान चली गई, फ्रांस में कुल 3.8 करोड़ केस सामने आए जिनमें एक डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों की जान गई. जर्मनी में कुल 3.8 करोड़ केस दर्ज किए गए थे और 1.74 लाख लोगों की जान चली गई.  यूके में करीब 2.5 करोड़ प्रभावित हुए और 2 लाख से ऊपर लोगों की जान चली गई. इन आंकड़ों से आप कोरोना की भयावहता को समझ सकते हैं.

वैक्सीन हैं कोरोना वायरस की काट

कोरोना वायरस पर लगाम लगाने के लिए वैश्विक स्तर पर अलग अलग वैक्सीन पर काम किया गया. भारत में इस समय स्वदेशी कोवैक्सीन के साथ साथ कोविशील्ड और स्पुतनिक उपलब्ध है. इन वैक्सीन की वजह से करोड़ों लोगों को कोरोना के प्रकोप से सुरक्षित रखने में मदद मिली है. वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना 2020-21 में जब कोरोना अपने पीक पर था. उस वक्त के वेरिएंट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर वैक्सीन पर काम शुरू हुआ. यह बात सच है कि 2020 से लेकर आज की तारीख में कोरोना वायरस में कई म्यूटेशन हुए हैं. लेकिन jn.1 में जिस तरह से म्यूटेशन हुआ है उसे देखते हुए नए सिरे से वैक्सीन पर काम करना होगा.

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