consumer court: कोल्डड्रिंक पीने से महिला की मौत पर देना होगा 17.8 लाख का मुआवजा, आयोग का आया फैसला

Compensation of Rs 17.8 lakh will have to be paid for the death of a woman due to drinking cold drink

जिला उपभोक्ता फोरम अलीगढ़
– फोटो : अमर उजाला

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अलीगढ़ महानगर के सासनी गेट के सराय गढ़ी इलाके में डेढ़ दशक पहले महिला की कोल्डड्रिंक (लिम्का) पीने से मौत के मामले में जिला उपभोक्ता आयोग ने फैसला सुनाया है। आयोग ने हाथरस स्थित लिम्का निर्माता कंपनी व सासनी गेट के वितरक पर 17 लाख 80 हजार रुपये मुआवजा ठोका है। इस राशि का भुगतान पीडि़त पक्ष के हक में तीस दिन में करना होगा। अन्यथा गैर अनुपालन का मुकदमा चलाया जाएगा। यह आदेश जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश हसनैन कुरैशी, सदस्य आलोक उपाध्याय व पूर्णिमा सिंह राजपूत की पीठ ने सुनाया है।

आयोग में इस संबंध में सराय गढ़ी के सुरेश चंद्र ने याचिका दायर की थी। जिसमें कहा था कि उसकी पत्नी आठ हजार रुपये प्रतिमाह कमाती थी और वह खुद फल की ढकेल लगाता है। घटना 19 जुलाई 2009 की है। उसकी पत्नी ने 600 एमएल की लिम्का कोल्डड्रिंक की बोतल फंटास्टिक कोल्डड्रिंक जयगंज के स्वामी देवेश कुमार से खरीदी। उसे उसकी पत्नी मिथलेश व बड़ी बेटी बबली आदि ने पीया। उसे पीते ही दोनों की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें सासनी गेट के नर्सिंग होम लाया गया। जहां से मिथलेश को गंभीर हालत में जिला अस्पताल रेफर किया गया, मगर उसकी मौत हो गई। बबली को उपचार के बाद बचा लिया गया। 

सूचना पर आई पुलिस ने मौके से कोल्डड्रिंक की बोतल जब्त की, जिसमें कुछ माल बचा था। उसे जांच के लिए भेजा। साथ में पोस्टमार्टम कराकर मुकदमा भी दर्ज किया। हालांकि पोस्टमार्टम में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हुआ। विसरा प्रिजर्व किया गया। बाद में 8 जून 2010 को कोल्डड्रिंक के संबंध में रिपोर्ट आई, जिसमें मिथाइल कार्बोनेट के साथ एथिल एल्कोहल पाया गया, जो जहरीला पदार्थ है। इस आधार पर वादी ने अपने शेष सात बच्चों बबली, अनिल, बबिता, नेहा, ज्योति, रानि व कुलदीप के लिए मुआवजा मांगा। इसके साथ उसने मुकदमा प्रति, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट, बबली की उपचार रिपोर्ट आदि दस्तावेज भी लगाए। वहीं बचाव पक्ष ने दलील दी कि वे सीलबंद उत्पाद बेचते हैं। 

पुलिस ने खुली हुई बोतल का सैंपल लिया था। उनके पास माल खरीदने का साक्ष्य नहीं है। मगर बचाव पक्ष की इस दलील को न स्वीकारते हुए अदालत ने वादी पक्ष के साक्ष्यों के आधार पर फैसला सुनाया है। जिसमें निर्माता फर्म हाथरस के रुहेरी नगला उम्मेद स्थित वृंदावन एग्रो इंडिया लिमिटेड को व विक्रेता जयगंज के देवेश को जिम्मेदार मानते हुए 17 लाख 80 हजार रुपये मुआवजा पीड़ित परिवार के पक्ष में तय किया है। साथ में 35 हजार मानसिक व्यय व 15 हजार रुपये वाद व्यय देना तय किया है। 17 लाख 80 हजार में से पचास फीसद राशि वादी को व शेष राशि सभी बच्चों में बराबर बराबर देने का आदेश दिया है। इस आदेश का पालन तीस दिन में करना होगा, अन्यथा अवमानना का मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।

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