नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के वरिष्ठ अधिकारी अशोक खेमका की वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट 2016-17 में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की ‘प्रतिकूल टिप्पणियों’ को हटाने के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को सोमवार को रद्द कर दिया। खेमका, 2012 में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाद्रा की ‘स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी’ और रियल एस्टेट की दिग्गज कंपनी डीएलएफ के बीच एक सौदे के बाद एक भूखंड के दाखिलखारिज को रद्द करने के बाद सुर्खियों में आए थे।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी (हरियाणा के मुख्यमंत्री) ने टिप्पणियों और ग्रेडिंग के लिए खेमका द्वारा दिए गए अभिवेदन पर अभी तक निर्णय नहीं लिया है। पीठ ने कहा, ‘‘हमारी राय में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने गलत आदेश दिया इसलिए हमने खंडपीठ के फैसले को रद्द कर दिया है। इसके अलावा, जैसा कि हमें बताया गया है कि सक्षम प्राधिकारी ने अभी तक अंतर्निहित अभिवेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया है इसलिए हम प्राधिकारी को इस फैसले के सुनाए जाने के 60 दिनों की अवधि के भीतर प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट नियमों के नियम नौ (7बी) के तहत अंतर्निहित अभिवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश देते हैं।’’
शीर्ष अदालत ने 1991 बैच के आईएएस अधिकारी को कानून के अंतर्गत उपलब्ध उपायों का सहारा लेने की स्वतंत्रता दी है। खेमका वर्तमान में राज्य सरकार में प्रमुख सचिव रैंक के अधिकारी हैं।
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FIRST PUBLISHED : March 11, 2024, 23:21 IST