चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI) ने एक कार्यक्रम में रिटायर जजों और न्यायिक अधिकारियों की पेंशन को लेकर चिंता जाहिर की. कहा कि 20 साल की सेवा के बाद 19-20 हजार की पेंशन मिलती है. इससे जजों का गुजारा कैसे होगा? उन्होंने केंद्र सरकार से इस मामले का न्याय संगत समाधान तलाशने की अपील की. सीजेआई चंद्रचूड़, पहले भी जजों के वेतन, भत्ते आदि का मामला उठाते रहे हैं.
क्या आपको पता है कि भारत के चीफ जस्टिस (CJI Salary) को कितनी सैलरी और क्या सुख-सुविधाएं मिलती हैं? सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट के जजों का वेतन-भत्ता कितना होता है. रिटायरमेंट के बाद कितना पेंशन और क्या सुविधाएं मिलती हैं. आइये बताते हैं…
CJI चंद्रचूड़ की कितनी सैलरी? (CJI DY Chandrachud Salary)
पहले बात करते हैं भारत के मुख्य न्यायाधीश यानी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की. CJI को हर महीने 2,80,000/ रुपए सैलरी मिलती है. इसके अलावा हर महीने 45000 रुपए सत्कार भत्ता (Sumptuary Allowance) मिलता है. साथ ही एक मुश्त 10 लाख रुपए फर्निशिंग अलाउंस के तौर पर मिलते हैं.
CJI को और क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं?
CJI को टाइप सेवन (Type VII) बंग्ला मिलता है. जिसमें 24 घंटे सिक्योरिटी से लेकर नौकर-चाकर और क्लर्क जैसी सुविधाएं रहती हैं. सीजेआई को इस घर का कोई किराया नहीं चुकाना होता है. इसके अलावा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को ड्राइवर के साथ एक सरकारी गाड़ी मिलती है, जिसके साथ हर महीने 200 लीटर फ्यूल मिलता है. साथ ही PSO भी मिलता है. सीजेआई ट्रैवलिंग एलाउंस के भी हकदार होते हैं.
द सुप्रीम कोर्ट जजेज (सैलरीज एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) एक्ट, 1958 के मुताबिक अगर सीजेआई ऑन ड्यूटी कहीं यात्रा करते हैं तो उन्हें इसका भत्ता दिया जाता है.
PM से ज्यादा CJI की सैलरी
इस तरह अगर सीजेआई की सैलरी पर नजर डालें तो उनकी तनख्वाह भारत के प्रधानमंत्री से भी ज्यादा है. प्रधानमंत्री को हर महीने 1.60 लाख रुपए बेसिक सैलरी मिलती है. इसके अलावा तमाम भत्ते मिलते हैं. हालांकि 30% प्रतिशत कट भी जाता है. तमाम भत्तों को मिलाकर पीएम की सैलरी 2 लाख प्रतिमाह के आसपास बैठती है, जो सीजेआई की तनख्वाह से काफी कम है. भारत में सिर्फ राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की सैलरी, सीजेआई से ज्यादा है.
CJI को कितनी पेंशन मिलती है?
यह तो हुई सेवा के दौरान सैलरी और सुख सुविधाओं की बात. CJI को रिटायरमेंट के बाद हर महीने 1,40,000 रुपये और महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) पेंशन के तौर पर मिलता है. साथ ही एक मुश्त 20 लाख रुपए ग्रेच्युटी के तौर पर मिलते हैं. रिटायरमेंट के बाद सीजेआई के साथ उनके परिवार को केंद्रीय सिविल सर्विस के क्लास वन अफसर और उसके परिवार के बराबर मेडिकल फैसेलिटीज भी मिलती हैं. साथ ही सुरक्षा भी मिलती है.
सुप्रीम कोर्ट के जजों की कितनी सैलरी? (Supreme Court Judges Salary)
अब बात करते हैं सुप्रीम कोर्ट के जजों की. उच्चतम न्यायालय के प्रत्येक जज को हर महीने 2,50,000 रुपए की सैलरी मिलती है. इसके अलावा 34000 रुपये महीना सत्कार भत्ता मिलता है. एक मुश्त 8 लाख रुपए फर्निशिंग अलाउंस के तौर पर भी मिलते हैं. इसके अलावा रेंट फ्री बंग्ला, सरकारी गाड़ी-ड्राइवर जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं.
रिटायरमेंट के बाद सुप्रीम कोर्ट के जज को सवा लाख रुपए प्रति महीने + महंगाई भत्ता, पेंशन के तौर पर मिलता है. 20 लाख रुपए ग्रेच्युटी के तौर पर मिलते हैं. इसके अलावा मेडिकल फैसिलिटी भी मिलती है.
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की कितनी सैलरी?
अब बात करते हैं हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सैलरी, सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर ही होती है. उन्हें भी प्रति महीने ढाई लाख रुपये तनख्वाह मिलती है. इसके अलावा 8,00,000 फर्निशिंग अलाउंस और 34000 रुपये प्रतिमाह सत्कार भत्ता मिलता है. रिटायरमेंट के बाद सवा लाख रुपये प्रतिमा व महंगाई भत्ता पेंशन के तौर पर मिलता है. इसके अलावा 20 लाख रुपए ग्रेच्युटी और मेडिकल फैसेलिटीज मिलती हैं.
हाईकोर्ट के जज की कितनी सैलरी?
हाई कोर्ट के जजों की बात करें तो उन्हें हर महीने 2,25,000 सैलरी मिलती है. इसके अलावा 27000 प्रतिमाह सत्कार भत्ता, मिलता है फर्निशिंग अलाउंस के तौर पर 6 लाख रुपये एक मुश्त मिलते हैं. रिटायरमेंट के बाद 1,12, 500 प्रतिमाह व महंगाई भत्ता पेंशन के तौर पर मिलता है. 20 लाख रुपए ग्रेच्युटी और मेडिकल सुविधाएं मिलती हैं.
सीजेआई की सरकारी कार.
कैसे तय होती है सैलरी?
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और जजों का वेतन-भत्ता और सुख-सुविधाएं अलग-अलग कानून से संचालित होती हैं. सुप्रीम कोर्ट की बात करें तो सीजेआई और जजों की सैलरी, भत्ते जैसी चीजें सुप्रीम कोर्ट जजेज (सैलरीज एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) एक्ट, 1958 (Supreme Court Judges (Salaries and Conditions of Service) Act, 1958) के जरिए संचालित की जाती हैं. इसी तरह हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और जजों का वेतन-भत्ता हाई कोर्ट जजेज (सैलरीज एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) एक्ट, 1954 (High Court Judges (Salaries and Conditions of Service) Act, 1954) के जरिए संचालित किया जाता है. भारत सरकार के न्याय विभाग के मुताबिक जब भी सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जजों की सैलरी या भत्ता बढ़ाने की बात आती है तो इन कानून में संशोधन करना पड़ता है.
कौन उठाता है सैलरी-पेंशन का खर्च?
न्याय विभाग के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के जजों का वेतन, पेंशन और भत्ता भारत सरकार अपने राजकोष से देती है. जबकि, जबकि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और भत्ते राज्य सरकार अपने कोष से देती है. इनके पेंशन का खर्च भारत सरकार वहन करती है.
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FIRST PUBLISHED : February 28, 2024, 11:00 IST