नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने सोमवार को कहा कि सांसदों और विधायकों को सदन में वोट डालने या भाषण देने के लिए रिश्वत लेने के मामले में अभियोजन से छूट नहीं होती है. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) रिश्वत मामले में पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सुनाए गए 1998 के फैसले को सर्वसम्मति से पलट दिया है. पांच न्यायाशीधों की पीठ के फैसले के तहत सांसदों और विधायकों को सदन में वोट डालने या भाषण देने के लिए रिश्वत लेने के मामले में अभियोजन से छूट दी गई थी.
प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि रिश्वतखोरी के मामलों में संसदीय विशेषाधिकारों के तहत संरक्षण प्राप्त नहीं है और 1998 के फैसले की व्याख्या संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 के विपरीत है. अनुच्छेद 105 और 194 संसद और विधानसभाओं में सांसदों और विधायकों की शक्तियों एवं विशेषाधिकारों से संबंधित हैं. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने पीठ के लिए फैसले का मुख्य भाग पढ़ते हुए कहा कि रिश्वतखोरी के मामलों में इन अनुच्छेदों के तहत छूट नहीं है क्योंकि यह सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को नष्ट करती है.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का क्या पढ़ेगा हिमाचाल प्रदेश और बिहार की सरकार पर असर
– हिमाचल पुलिस अपनी जांच में ये पाती है कि बागी विधायकों ने रिश्वत लेकर क्रॉस वोटिंग की तो उन पर कार्रवाई संभव है.
– इतना ही नहीं बिहार में फ्लोर टेस्ट में नीतीश कुमार की सरकार तो बच गई लेकिन जदयू विधायक सुंधाशु शेखर ने अब आरजेडी नेताओं पर हॉर्स ट्रेडिंग के मामले में केस दर्ज कराया है. सुधांशु शेखर का आरोप है कि जदयू के विधायकों को तोड़ने के लिए 10-10 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया था.
इन दो सांसदों की बढ़ेगी मुश्किलें
1. इस आदेश के बाद हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन पर मुकदमा चल सकेगा.
2. महुआ मोइत्रा ने अगर रिश्वत लेकर सवाल पूछा तो अपराधिक कार्रवाई हो सकती है.
.
Tags: CJI, Supreme Court
FIRST PUBLISHED : March 4, 2024, 12:13 IST