Chunav Yatra Day 3: Varanasi के अस्सी घाट पर हमने Modi-Yogi के कामकाज पर जानी महिलाओं की प्रतिक्रिया

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क की चुनाव यात्रा ने तीसरे दिन का अपना पड़ाव वाराणसी के अस्सी घाट पर डाला। इस प्राचीन और प्रसिद्ध घाट पर चौबीसों घंटे देशी-विदेशी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। हमने यहां बाहर से आई महिलाओं से खासतौर पर बातचीत की। हमने जानना चाहा कि वाराणसी कितना सुरक्षित है? हमने जानना चाहा कि राहुल गांधी ने वाराणसी के दौरे पर कहा था कि उत्तर प्रदेश का युवा नशेड़ी हो रहा है तो क्या यहां पर आपको कोई नशेड़ी दिखा? हमने जानना चाहा कि क्या घाटों के इर्दगिर्द महिलाओं का रात में अकेले घूमना या एक जगह बैठे रहना सुरक्षित है? अपने सवालों के जवाब में हमें जो लोगों की प्रतिक्रिया मिली वह दर्शाती है कि उत्तर प्रदेश कितने बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है।

प्रयागराज से आई एक महिला ने प्रभासाक्षी से बातचीत में कहा कि मुझे यहां अकेले आने में जरा भी डर नहीं लगा। उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि की पूरी रात को वह घाट पर ही रहीं लेकिन कोई दिक्कत नहीं हुई। उन्होंने कहा कि मोदी-योगी के राज में यूपी महिलाओं के लिए सुरक्षित हो गया है। उन्होंने बताया कि प्रयागराज में भी हम पहले सात बजे के बाद अकेली नहीं जाती थीं लेकिन अब रात को 11-12 बजे भी निडर होकर जाती हैं। उन्होंने कहा कि काशी में श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए जो विकास हुए हैं वह अभूतपूर्व हैं इसीलिए यहां दिन-प्रतिदिन लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि मोदी जी के राज में महिलाओं का विशेष ख्याल रखा जाता है और हमें लगता है कि हम भी मोदी के परिवार से हैं इसलिए बिना किसी डर के आते-जाते हैं।

कानपुर से आई एक युवती ने कहा कि मैं यहां घाट पर बैठी गंगा मैय्या को काफी समय से निहार रही हूँ और इस शांति में एक अनोखा आनंद मिल रहा है। उन्होंने कहा कि पहले के समय में घर से पचास बार फोन आ जाते थे कि कहां हो, कब आओगी। इसके अलावा घर से बिना किसी को साथ लिये हम कहीं आ-जा नहीं सकते थे लेकिन अब मैं काशी अकेले आ जाती हूँ और मुझे तथा मेरे घरवालों को किसी बात की चिंता नहीं रहती। उन्होंने कहा कि बाबा के बुलडोजर का खौफ अपराधियों के मन में बैठ गया है जिसका सबसे बड़ा फायदा महिलाओं को हो रहा है।

मुंबई से आईं एक अन्य महिला ने कहा कि मोदी-योगी के राज में काशी की दिव्यता और भव्यता तो निखरी ही है साथ ही इस आध्यात्मिक केंद्र में सुविधाएं बढ़ा कर इसे धार्मिक पर्यटक का एक बड़ा केंद्र बना कर सरकार ने अर्थव्यवस्था को काफी आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से यहां दिया बनाने वाले, नाव चलाने वाले, घाट पर फोटो खींचने वाले, फूल बेचने वाले, चाय बेचने वाले, ऑटो और ई-रिक्शा चलाने वालों को काम मिला है उससे लोगों का घर आसानी से चल पा रहा है। उन्होंने कहा कि यहां के सभी होटल हमेशा फुल ही रहते हैं, रेस्टोरेंटों और ढाबों में भी खूब भीड़ लगी रहती है जो दिखा रही है कि काशी अध्यात्म के साथ ही अर्थ की नगरी भी बन रही है।

-नीरज कुमार दुबे

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