जब भी किसी के घर में छोटे बच्चे की किलकारियां गूंजती हैं, तो पूरा का पूरा घर उस नवजात की सेवा में लग जाता है। वहीं जब किसी परिवार में बच्चे का जन्म होता है। तो घर के अन्य सदस्य बच्चे के फीचर्स और रंग को देखकर यह कयास लगाने लगते हैं कि बच्चा अपनी मां जैसा है या अपने पिता के जैसा। कई बार देखा गया है कि बच्चा पैदा होने के समय गोरा होता है। लेकिन बाद में धीरे-धीरे उसका रंग डार्क होने लगता है।
ऐसे में बच्चे के माता-पिता परेशान हो जाते हैं और बच्चे के रंग को गोरा करने के लिए पेरेंट्स कई तरीके अपनाने लगते हैं। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि क्या पैदाइश के बाद से बच्चे का रंग बदल सकता है। जब परिवार के सदस्य बच्चे के जन्म के समय उसको देखते हैं, तो वह गोरा नजर आता है। लेकिन जब वही सदस्य 2-3 महीने बाद बच्चे को देखते हैं तो उसके बदले रंग को देखकर चौंक जाते हैं।
कई बार ऐसा होने पर घर के बड़े-बुजुर्ग कहने लगते हैं कि बच्चे का सही तरीके से ख्याल नहीं रखा गया। जिसके कारण वह कमजोर होने की वजह से डार्क हो गया है। कुछ लोग बच्चे को बेबी वॉश या साबुन से रगड़कर नहलाने लगते हैं। जो बच्चे की सेहत के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है।
बच्चे के रंग को गोरा रखने के लिए कुछ महिलाएं डिलीवरी से पहले केसर का सेवन करने लगती है। माना जाता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान केसर का सेवन करने से बच्चे का रंग गोरा होता है। लेकिन अगर डॉक्टर की मानें तो प्रेग्नेंसी के दौरान केसर का सेवन करना या तरह-तरह के कॉस्मेटिक के इस्तेमाल से बच्चे के रंग को बदला नहीं जा सकता है।
डॉक्टर्स की मानें तो कुछ दिनों के लिए बच्चे के रंग पर पानी, प्रदूषण, धूप और कॉस्मेटिक चीजों का प्रभाव पड़ सकता है। लेकिन यह चीजें आपके बच्चे के रंग को बदल नहीं सकती हैं। वहीं सर्दियों के मौसम में बच्चे के लिए सुबह की हल्की धूप काफी ज्यादा फायदेमंद होती है। सुबह की हल्की धूप से विटामिन डी की कमी पूरी होने के साथ ही बच्चा भी स्वस्थ रहता है।
डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।