हिना आज़मी/ देहरादून. 17 नवंबर से नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व (Chhath Puja 2023 Date) शुरू होगा. इसके लिए उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में बिहारी महासभा तैयारियों में जुट गई है. देहरादून के बाजारों में पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्रियां आ गई हैं. संतान की कुशल कामना के लिए माताएं यह कठिन निर्जला व्रत रखती हैं. देहरादून में कई जगहों पर छठ महापर्व का आयोजन किया जाएगा, इसमें मालदेवता, टपकेश्वर, प्रेमनगर, चंद्रबनी जैसे कई स्थान चिह्नित किए गए हैं.
देहरादून के झंडा बाजार में पिछले 30 सालों से छठ पूजा का सामान बेचने वाले नरेश पासवान ने बताया कि पहले उनके पिता झंडा बाजार में छठ का सामान बेचा करते थे. उससे पहले बिहार के लोगों को यहां छठ का सामान नहीं मिलता था. उन्होंने बताया कि जब उनके पिता यहां रहने लगे और छठ के दौरान उन्हें सामग्रियां नहीं मिल रही थीं, तब उन्होंने बिहार के समस्तीपुर से सामान लाकर बेचना शुरू किया. नरेश बताते हैं कि वह बिहार से बांस की टोकरी, सूप, आदि मंगवाते हैं, जबकि देहरादून के स्थानीय बाजार से ही दूब, चकोतरा, गन्ना और हल्दी का पौधा खरीदकर लोगों को छठ पूजा में प्रयोग होने वाली चीजों को बेचते हैं. उनका कहना है कि अपने बिहार से दूर भी लोग अच्छे तरीके से छठ मैया के इस पर्व को मना सकें, यही हमारी कोशिश रहती है.
संतान की सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है व्रत
देहरादून के चूना भट्टा क्षेत्र में रहने वाली उमा बताती हैं कि वह मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर से हैं और कई सालों से देहरादून में रह रही हैं. हम देहरादून में भी अपने बिहार जैसी छठ पूजा मनाते हैं. उमा बताती हैं कि संतान की कुशल कामना के लिए यह व्रत रखा जाता है और इसी के साथ ही महिलाएं इस निर्जला व्रत को इसलिए भी करती हैं कि उनके परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे.
तैयारियों में जुटी बिहारी महासभा
बिहार महासभा के अध्यक्ष ललन सिंह ने बताया कि 17 नवंबर से चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत हो जाएगी, जो हर साल दिवाली के 6 दिन बाद से शुरू होती है. इसमें सूर्य देव और षष्ठी देवी की पूजा का विशेष महत्व होता है. उन्होंने बताया कि महासभा इसकी तैयारियों में जुटी है क्योंकि देहरादून में भी कई हजारों लोग बिहार से आकर बसे हुए हैं. उन्होंने बताया कि महासभा की ओर से घाटों की साफ सफाई की जा रही है और सभी व्यवस्थाएं की जा रही हैं. वहीं बिहारी महासभा ने प्रशासन से भी अपील की है कि प्रशासन भी इस महापर्व की तैयारियों में उनका सहयोग करें क्योंकि 3 दिन तक महिलाओं को पानी में यह पूजा करनी पड़ती है, इसके में महिलाओं को कपड़े बदलने के लिए कुछ व्यवस्थाओं का होना जरूरी है. वहीं उनकी सुरक्षा के लिए भी प्रशासन की ओर से सहयोग होना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : November 16, 2023, 22:48 IST