अभिषेक जायसवाल/वाराणसीः छठ के महापर्व पर भगवान सूर्य के साथ छठी मैया की पूजा होती है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से यह पर्व शुरू होता है, जो चार दिनों तक चलता है. 36 घण्टे के इस निराजल व्रत में महिलाएं कुंड, सरोवर और नदी किनारे छठी मैया की पूजा करती हैं और भगवान सूर्य को अर्घ्य देती हैं. पूरे उत्तर भारत में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. यह सवाल सबके मन में आता होगा कि छठी मैया कौन हैं ? और भगवान शिव के पूरे कार्तिकेय से इनका क्या सम्बंध है?
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि छठी मैया भगवान सूर्य की बहन और परमपिता ब्रह्मा की मानस पुत्री है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी मैया को संतान प्राप्ति की देवी कहा जाता है. यही वजह है कि बच्चों के जन्म के छठे दिन इनकी पूजा की जाती है.
ये है इसकी कथा
पुराणों के कथा के अनुसार ब्रह्म देव जब सृष्टि की रचना कर रहें थे, तब उन्होंने खुद को दो भागों में विभाजित किया था. इसमे एक भाग पुरुष और दूसरा भाग प्रकृति का था. इसके बाद प्रकृति ने अपने आप को छः भागों में बांटा, जिसका छठा अंश के तौर पर मातृ देवी के रूप में छठी मैया प्रकट हुई.
शिव पुत्र कार्तिकेय से ये है सम्बंध
धार्मिक कथाओं के अनुसार छठी मैया भगवन शिव के पुत्र कार्तिकेय की पत्नी हैं. इनके पूजा आराधना से आरोग्यता, वैभव और संतान का सुख मिलता है. यही वजह है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक इनकी पूजा होती है.
(नोट: यह खबर धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषशास्त्र पर आधारित है.Newe 18 इसके सत्यता की पुष्टि नहीं करता है.)
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FIRST PUBLISHED : November 18, 2023, 13:06 IST