Chhath Puja 2023: कल से शुरू होगा छठ पर्व, क्‍या है सूर्य पूजा का महत्‍व? जानें इसके फायदे

उधव कृष्ण/पटना. छठ पूजा में भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि एकमात्र सूर्य ही अकेले ऐसे देवता हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से नित्य हमें दर्शन देते हैं. इसी वजह से सूर्यदेव की पूजा भी विशेष फलदायी होती है. इस बार शुक्रवार 17 नवंबर से छठ महापर्व की शुरुआत होने जा रही है. पटना के मशहूर पंडित शशिभूषण पांडे ने बताया कि अपने लक्ष्य तक पहुंचना और निष्काम भाव से लोकहित का कर्म करना ही सूर्यदेव का स्वभाव है. प्रत्येक जीव को ऊर्जा और ऊष्मा देकर जीवन को संभव बनाने वाले सूर्यदेव को छठ महापर्व में अर्घ्य देकर लोग कृतज्ञता प्रकट करते हैं.

पटना सिटी के छोटी नगला स्थित श्री शीतला माता मंदिर के प्रधान पुजारी और पंडित शशिभूषण पांडे ने बताया कि चार दिवसीय इस छठ महापर्व के तीसरे दिन यानी रविवार 19 नवंबर की शाम को डूबते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाएगा. श्रद्धालु घाट पर जाने से पहले बांस की टोकरी में पूजा की सामग्री, मौसमी फल, ठेकुआ, कसार, गन्ना आदि सामान सजाते हैं. इसके बाद घर से नंगे पैर घाट पर पहुंचते हैं.

सूर्य पूजा के बारे में क्या कहते हैं पुराण?
पंडित शशिभूषण पांडे की मानें तो सूर्य का उल्लेख वैदिक काल से ही मिलता है. सूर्यवंशी राम भी सूर्य पूजा करते थे और सूर्य पुत्र कर्ण भी. वैदिक पुराण में इसका एक बड़ा अंश देख सकते हैं. वहीं, ह्वेनसांग ने भी भारतीयों के सूर्य से लगाव की चर्चा अपने पुस्तकों में की है. बता दें कि छठ में धान की फसल कटकर खलिहान में आती है. अन्न घर में आता है. इसलिए दीपावली के बाद का यह पर्व बड़े उल्लास से मनाया जाता है. यह सुंदरता, प्रेम, आशा, जीवन और प्रसन्नता का महापर्व माना जाता है.

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