चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक प्रयोग करने के बाद इस महीने की शुरुआत में रोवर और लैंडर को स्लीप मोड में डाल दिया गया था। रोवर को 2 सितंबर को स्लीप मोड में डाल दिया गया था, उसके बाद 4 सितंबर को लैंडर को स्लीप मोड में डाल दिया गया था।
देश में सभी की निगाहें चंद्रयान-3 मिशन पर है। इसमें आज विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को सक्रिय करने की कोशिश कर रहा था। लेकिन ये प्रक्रिया आज नहीं हो सकी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को पुनर्जीवित करने की योजना शनिवार तक के लिए टाल दी है। अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने कहा कि पहले हमने 22 सितंबर की शाम को (प्रज्ञान) रोवर और (विक्रम) लैंडर को फिर से सक्रिय करने की योजना बनाई थी, लेकिन कुछ कारणों से अब हम इसे कल 23 सितंबर को करेंगे। मिशन के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर, जो 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उस स्थान पर सफलतापूर्वक उतरे थे, जिसे अब ‘शिव शक्ति प्वाइंट’ के नाम से जाना जाता है, 23 सितंबर को फिर से सक्रिय होने के लिए तैयार हैं।
चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक प्रयोग करने के बाद इस महीने की शुरुआत में रोवर और लैंडर को स्लीप मोड में डाल दिया गया था। रोवर को 2 सितंबर को स्लीप मोड में डाल दिया गया था, उसके बाद 4 सितंबर को लैंडर को स्लीप मोड में डाल दिया गया था। अपने परिचालन चरण के दौरान, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने कई चंद्र प्रयोगों को अंजाम दिया। प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर 100 मीटर से अधिक की दूरी तय की, जिससे दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रमा की सतह में सल्फर (एस) की उपस्थिति की पुष्टि हुई। विक्रम लैंडर ने दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में निकट-सतह चंद्र प्लाज्मा वातावरण का अभूतपूर्व माप भी किया।
इसरो ने शुरुआत में रोवर के लिए 300-350 मीटर की दूरी तय करने की योजना बनाई थी। हालाँकि, कुछ कारणों से रोवर अब तक केवल 105 मीटर ही आगे बढ़ पाया है। इसके बावजूद, मिशन ने अपने उद्देश्यों को पार कर लिया है, विक्रम लैंडर ने चंद्रमा पर हॉप परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, जो भविष्य के चंद्रमा मिशन और मानव अन्वेषण के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
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