Chandrayaan-3 Pragyan Rover: चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर चंद्रयान-3 इतिहास रच चुका है. इसके बाद विक्रम लैंडर से बाहर निकले रोवर प्रज्ञान ने अपना काम शुरू कर दिया है. चांद के गर्भ में छिपे और रहस्यों को दुनिया के सामने लाने के लिए प्रज्ञान ने चांद पर घूमना शुरू कर दिया है.
इसका एक वीडियो इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी इसरो ने जारी किया है. वीडियो में प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर चलता नजर आ रहा है. दक्षिणी ध्रुव पर आज तक कोई भी देश अपना स्पेसक्राफ्ट उतार नहीं पाया था. भारत ऐसा करने वाला पहला देश है. दक्षिणी ध्रुव चांद का सबसे बड़ा सीक्रेट पॉइंट है, जिसके बारे में जानने की वैज्ञानिकों में काफी उत्सुकता है.
चालू हो गए हैं उपकरण
शुक्रवार को इसरो को कहा था कि चंद्रयान-3 के रोवर ‘प्रज्ञान ने चांद की सतह पर लगभग आठ मीटर की दूरी तय कर ली है और इसके उपकरण चालू हो गए हैं. स्पेस एजेंसी ने कहा कि प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर पर सभी उपकरण सामान्य ढंग से काम कर रहे हैं. उपकरण अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) का मकसद चांद की सतह की कैमिकल कंपोजिशन और मिनरल्स कंपोजिशन की स्टडी करना है.
Chandrayaan-3 Mission:
What’s new here?Pragyan rover roams in pursuit of lunar secrets at the South Pole! pic.twitter.com/pCXlkcuTve
— ISRO (@isro) August 26, 2023
वहीं, लेजर-इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) चांद पर लैंडिंग एरिया के आसपास की मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना की पड़ताल के लिए है. इसरो ने गुरुवार को कहा था कि लैंडर उपकरण इल्सा, रंभा और चेस्ट को चालू कर दिया गया है. चंद्र सतह तापीय-भौतिकी प्रयोग (चेस्ट) नाम का उपकरण चंद्रमा की सतह के तापीय गुणों को मापेगा.
भारत ने रच दिया इतिहास
भारत ने बुधवार को तब इतिहास रच दिया जब चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के साथ यह चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ऐसा साहसिक कारनामा करने वाला दुनिया का अब तक का एकमात्र देश बन गया.
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद स्पेस की दुनिया में संभावनाओं के रास्ते खुल गए हैं. लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि अब सबसे अहम चुनौती चांद के मुश्किल दक्षिणी ध्रुवीय इलाके में पानी की मौजूदगी की संभावना की पुष्टि और खानिज व धातुओं की उपलब्धता का पता लगाने की होगी.
खुलेंगे सौर मंडल के रहस्य
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वैज्ञानिकों का मानना है कि इन स्टडीज से चंद्रमा पर जीवन की संभावना एवं सौर मंडल की उत्पत्ति के रहस्यों से परदा हटाने में भी मदद मिलेगी.
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चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव बेहद दुर्गम और कठिन क्षेत्र है. इसमें 30 किलोमीटर तक गहरी घाटियां और 6-7 किलोमीटर तक ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र आते हैं. इस इलाके में लैंडिंग करना ही अपने आप में काफी चुनौतिपूर्ण कार्य था।
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उन्होंने बताया कि चंद्रमा के इस हिस्से में कई इलाके ऐसे हैं जहां सूर्य की किरणें पड़ी ही नहीं हैं. ऐसे में यहां जमे हुए पानी के बड़े भंडार हो सकते हैं. चंद्रयान-1 से इस बारे में संकेत भी मिले थे.