Chaitra Navratri 2023 : माता के छठे स्वरूप कात्यायनी की ये है विशेषता

Chaitra Navratri 2023: आज चैत्र नवरात्रि का छठा दिन है। नवरात्रि में नौ दिन लगातार मां के विभिन्न रूपों की भक्ति भावना से आराधना की जाती है। वहीं छठवें दिवस मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की आराधना की जाती है। ऋषि कात्यायन की तपस्या से ही देवी शक्ति दुर्गा ने कात्यायनी रूप में जन्म लिया।

मां कात्यायनी महिषासुर मर्दिनी है। मां का यह रूप संहारक है। उन्हें दुष्टों, असुरों, दानवों एवं राक्षसों का विनाशक माना जाता है। असुर, दानव और दुष्ट केवल उसी समय नहीं थे बल्कि हमारी मनोवृत्तियों के अनुसार आज भी हमारे भीतर निहित है।

मां का तेज, भव्यता एवं कान्ति निराली है। रत्न-आभूषणों से सुशोभित मां सिंह पर सवारी करती है। माता की चार भुजाएँ है। माँ कात्यायनी की दाहिनी ओर की ऊपर वाली भुजा अभयमुद्रा एवं नीचे वाली भुजा वरप्रदाता है। मां चन्द्रहास खड़ग और कमल का फूल अपने बाएं हाथों में धारण करती है।

माता की आराधना से हम अन्तःकरण की शुद्धि प्राप्त कर सकते है। मां कात्यायनी की उपासना हमारे अन्तर्मन में चल रही नकारात्मक्ता का अंत कर सकारात्मक ऊर्जा संचारित करती है। एकाग्रचित्त भाव से मां की आराधना करने वाला व्यक्ति सहजता और सरलता से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों को प्राप्त कर लेता है।

पूर्ण निष्ठा भाव से की गई आराधना अलौकिक तेज दिलाती है, जो जन्म-जन्मांतर के पापों को हरने में सक्षम है। नवरात्रि के प्रथम दिवस हमनें दृढ़ता, द्वितीय दिवस सद्चरित्रता, तृतीय दिवस मन की एकाग्रता, चतुर्थ दिवस असीमित ऊर्जाप्रवाह व तेज, पंचम दिवस वात्सल्य एवं प्रेम तथा छठवे दिवस हमने अपने भीतर निहित आसुरी प्रवृत्तियों का नाश किया है।

मां सदैव अपने बच्चों की प्रेम की भाषा समझती है और हमेशा अपने बच्चों के कल्याण के लिए तत्पर रहती है। अतः मां की कृपा प्राप्ति के लिए पूर्ण विश्वास से मां की स्तुति करें।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

 

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