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प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा संयोजक पद नीतीश कुमार चाहते हैं लेकिन वह नहीं मिल पा रहा है। मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए आगे करके ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने दलित कार्ड खेल दिया है।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह लोकसभा चुनाव से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गयी। इस दौरान प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि INDIA गठबंधन के घटक दलों में सीट बंटवारे को लेकर जिस तरह की खींचतान चल रही है उससे भाजपा के खिलाफ हर सीट पर विपक्ष का एक संयुक्त उम्मीदवार उतारने का फार्मूला खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। सीट बंटवारे पर कांग्रेस ने पहले बड़ा दिल दिखाने की बात की थी परंतु अब वह मेरिट को आधार बनाने की बात कर रही है। बहरहाल, जनता के मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि जब अभी से इतना आपसे द्वंद्व है तो बाद में क्या होगा।
प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा संयोजक पद नीतीश कुमार चाहते हैं लेकिन वह नहीं मिल पा रहा है। मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए आगे करके ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने दलित कार्ड खेल दिया है। नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि एक ओर इंडिया गठबंधन की बैठक नहीं हो पा रही है वहीं दूसरी ओर भाजपा अपनी तैयारी को शुरू कर चुकी है। नीरज दुबे ने साफ तौर पर सवाल किया कि क्या नीतीश कुमार का कद इतना बड़ा है कि वह बिहार छोड़कर किसी अन्य राज्य में वह गठबंधन को वोट ट्रांसफर करवा सके? बिहार विधानसभा चुनाव में सत्ता में रहने के बावजूद भी उनकी पार्टी तीसरे नंबर पर चली गई।
नीरज दुबे ने कहा कि दो बड़े रोड़े जो इंडिया गठबंधन के राह में हैं। पहला है प्रधानमंत्री पद के दावेदार और दूसरा सीट शेयरिंग। उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों को अपनी-अपनी सीटों पर तैयारी करके रखनी चाहिए जहां वह चुनाव लड़ने को इच्छुक हैं। अगर अंत समय तक सीट बंटवारे पर फाइनल बातचीत नहीं हो पाती तो आपकी तैयारी पूरी रहनी चाहिए ताकि आप चुनावी मैदान में उतर सके। लेकिन अगर समझौता हो जाता है तो गठबंधन के लिए अच्छी बात होगी कि आपकी तैयारी वहां पहले से मौजूद रहेगी। शुरू में कहा गया था कि 400 सीटों पर हम एक उम्मीदवार उतरेंगे लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। कांग्रेस 255 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। महाराष्ट्र में भी पेंच फंसेगा, वहां कांग्रेस उद्धव की शिवसेना को 23 सीटें नहीं देगी। पश्चिम बंगाल में भी हम देख रहे हैं कि कैसे कांग्रेस और टीएमसी एक दूसरे पर हमलावर है। ऐसे में वहां भी गठबंधन को लेकर संभावनाएं बेहद कम दिखाई दे रही हैं।
दिल्ली में तो इंडिया गठबंधन के बड़े नेता एक साथ होकर फोटो खिंचवा लेते हैं लेकिन राज्य स्तर पर देखें तो पश्चिम बंगाल में टीएमसी बनाम कांग्रेस, पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच जबरदस्त तकरार है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जनता देख रही है कि नेताओं के दिल नहीं मिल रहे हैं, सिर्फ हाथ मिला रहे हैं ये लोग वह भी वोट लेने के लिए। उन्होंने कहा कि देश से गठबंधन की राजनीति 10 साल पहले खत्म हो गई है। देश की जनता समझती है कि गठबंधन के राजनीति से क्या नुकसान होता है और शायद गठबंधन की राजनीति को देश की जनता एक बार फिर से मौका दें।
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