CG Election 2023: क्या इस बार भी भारी मात्रा में जनता करेगी नोटा का इस्तेमाल?

रायपुर. छत्तीसगढ़ में करीब एक महीने बाद विधासनभा चुनाव हैं. इस बार ये चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाले हैं. दिलचस्प इसलिए, क्योंकि इस बार इस बात पर सभी की नजर होगी कि जनता आखिर ‘नोटा’ का कितना इस्तेमाल करती है. पिछले विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने जमकर नोटा किया था. 2018 के विधानसभा चुनाव में 90 विधानसभा क्षेत्रों में 2 लाख 82 हजार 738 लोंगो ने नोटा का विकल्प चुना था. जानकारी के मुताबिक, अमूमन शहरी क्षेत्रों के मतदाता नोटा का उपयोग करते हैं. साल 2018 में दंतेवाड़ा में 9929, चित्रकोट में 9824, सामरी में 6250, प्रतापपुर में 5741,बिन्द्रोनवागढ़ में 5515, गुण्डरदेही में 5014, सीतापुर में 5189, पत्थलगांव में 5159, रामपुर में 4609, पाटन में 3939 लोगों ने नोटा विकल्प को चुना था.

सबसे कम खल्लारी सामान्य सीट में 499 नोटा वोट पड़े थे. उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी नीलेश महादेवन छीरसागर ने कहा कि हर बार मतदाताओं को जागरूक करने का प्रयास किया जाता है. मतदाताओं को मतदान केन्द्रों तक लाने के लिए प्रेरित करना हमारा काम है. कोई भी व्यक्ति अपने विवेक से ही वोट देते है. यह उसका विशेषाधिकार है. छतीसगढ़ में 2 चरणों में चुनाव होंगे. छतीसगढ़ में 7 और 17 नवंबर को चुनाव होंगे. वहीं पांचों राज्यों में चुनाव परिणाम 3 दिसंबर को आएगा. इसके साथ ही राज्य में आचार संहिता भी लागू हो चुकी है. कांग्रेस की अगुवाई वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा का कार्यकाल 3 जनवरी 2024 को पूरा हो रहा है. 90 सीटों में 51 सामान्य वर्ग की हैं. जबकि 10 सीटें एससी और 29 सीटें एसटी के लिए रिजर्व हैं. राज्य में कुल 2.3 करोड़ मतदाता हैं.

CG Election 2023: पिछले साल 2 लाख से ज्यादा लोगों ने किया था नोटा का इस्तेमाल, क्या इस बार भी जनता इस पर दबाएगी बटन?

छत्तीसगढ़ एक नजर में
विधानसभा सीट- 90, लोकसभा सीट- 11, राज्यसभा सीट- 5, राज्य में मतदान केंद्रों की संख्या- 24 हजार 109, कुल मतदाता- 2 करोड़ 3 लाख 60 हजार 240. 2018 में कांग्रेस ने 68 सीटें जीतीं. बीजेपी ने 15, बीएसपी 2, जेसीसीजे 5 सीट जीती थीं. 2008 में 7 सीटों पर हुई 80 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग, जिसमें 2 भाजपा और 5 कांग्रेस ने जीतीं. 2013 में 43 सीटों पर हुई 80 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग, जिसमें 5 भाजपा, 36 कांग्रेस और 2 सीटें अन्य ने जीतीं. 2018 में 40 सीटों पर हुई 80 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग, जिसमें 4 भाजपा, 34 कांग्रेस और 2 सीटें अन्य ने जीतीं.

कांग्रेस की परंपरागत सीट
खरसिया- यह सीट 1977 में अस्तित्व में आई. तब से यहां कांग्रेस की जीत होती रही. 3 चुनाव में कांग्रेस की लक्ष्मी पटेल और 5 बार नन्दकुमार पटेल ने जीत दर्ज की. पिछले 2 बार से नन्दकुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल ने जीत हासिल की.
सीतापुर- 1951 से इस सीट से कांग्रेस ही जीतती रही. 1998 में निर्दलीय गोपाल राम जीते. राज्य बनने के बाद 2003 से अमरजीत भगत इस सीट से विधायक हैं.
कोंटा- 1972 में जनसंघ प्रत्याशी ने जीत दर्ज की. 1998 से कांग्रेस के कवासी लखमा जीतते आ रहे हैं.
कोटा- 1972 में कांग्रेस के मथुरा प्रसाद ने जीत दर्ज की. राज्य बनने के बाद राजेंद्र प्रसाद शुक्ल जीते. उनके निधन के बाद 2006 में उपचुनाव में कांग्रेस की रेणु जोगी जीती. 2018 में वह जोगी कांग्रेस से जीती.
मरवाही- 1967 में अस्तित्व में आई इस सीट पर 1990 और 1998 में ही भाजपा को जीत मिली.
पाली-तानाखार- 1957 में यह सीट अस्तित्व में आई. 1985 और 1990 में भाजपा को जीत मिली. 2003 से 2018 तक कांग्रेस ने जीत हासिल की.

भाजपा की परंपरागत सीट
रायपुर दक्षिण- यह सीट 2008 में अस्तित्व में आई. इस सीट से भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल 1990 से लगातार जीत रहे हैं.
राजनांदगांव- 2008 से राजनांदगांव की सीट भाजपा के पास है. यहां से पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह जीतते आ रहे हैं.
बिन्द्रानवागढ़- 2008 से 2018 तक यह सीट बीजेपी के पास है. बीजेपी यहां हर बार चेहरा बदलती रही है और हर बार जीतती रही है. 2008 में बीजेपी के डमरूधर पुजारी जीते. 2013 में गोवर्धन सिंह ने जीत दर्ज की. 2018 में फिर से डमरूधर पुजारी ने जीत दर्ज की. 2003 में इस सीट से कांग्रेस के ओंकार शाह विधायक बने थे.
मुंगेली- यह सीट 2008 से भाजपा के पास है. यहां से लगातार भाजपा के पुन्नूलाल मोहले जीतते आ रहे हैं. 2003 में कांग्रेस के चंद्रभान एक बार जीत पाए हैं.
बेलतरा- यह सीट पिछले 15 सालों से भाजपा के पास है. यहां से बद्रीधर दीवान लगातार जीतते आ रहे हैं. 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट सीपत से बेलतरा हुई. सीपत से बसपा के रामेश्वर खरे जीते. इससे पहले यह कांग्रेस की सीट थी.

Tags: Assembly election, Chhattisgarh news

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