CG सरकार की इस योजना की मदद से मजदूर से मालिक बना लखन, अब हो रही लाखों की कमाई

जांजगीर चांपा/लखेश्वर यादव:  जीवन में आगे बढ़ने की ललक और कुछ कर गुजरने का अगर जज्बा हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. इस संघर्ष के बाद जब सफलता मिलती है तो उसका स्वाद ही कुछ अलग होता है. ऐसे ही शख्स है पचेड़ा ग्राम पंचायत में जिनका नाम लखन कश्यप है. जो छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) से जुड़े और मजदूर से मालिक बन गये. अब वह फेब्रिकेशन वर्क को करते हुए एक सफल उद्यमी बनने का सफर तय कर रहे हैं.

आपको बता दें कि जांजगीर-चांपा जिले के जनपद पंचायत नवागढ़ अन्तर्गत ग्राम पंचायत पचेड़ा है. जहां पर रीपा के माध्यम से कंस्ट्रक्शन एंड एग्रो फेब्रिकेशन यूनिट का निर्माण किया गया है. इस यूनिट के बनने के बाद से पचेड़ा के रहने वाले लखन कश्यप जुड़ गए. वह बताते हैं कि फेब्रिकेशन का कार्य गांव में बहुत पहले से कर रहे थे. कार्य को करते हुए उतनी आमदनी नहीं हो रही थी. जिसके कारण दूसरों की मजदूरी करके, घर-घर जाकर एक मजदूर के रूप में ही काम मिलता था. मन में ऊंचे ख्वाब थे एक दिन अपना खुद का बड़ा व्यवसाय हो. इतनी आमदनी नहीं थी कि कुछ बड़ा कर सकूं. ऐसे में युवाओं के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रीपा योजना लेकर आए. इस योजना में पचेड़ा गौठान में शासन की तरफ से समुचित स्थान के साथ वर्कशेड, अत्याधुनिक मशीनें, बिजली, पानी व अन्य समस्त आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई.

हाथ ठेला बनाने में है महारथ
लखन कश्यप बताते हैं कि रीपा से जुड़ने के बाद बहुत काम मिल रहा है. वह भवन निर्माण कार्य से संबंधित समस्त लोहे की सामग्री का निर्माण करते हैं. इसके अलावा कृषि उपकरण भी बनाते हैं. उन्हें हाथ ठेला बनाने में महारथ हासिल है. इसके चलते ही आसपास के दुकानदार उनके पास हाथ ठेला का निर्माण कराने पहुंचते हैं. वह खिड़की, दरवाजे, रौशनदान, रैलिंग, मेनगेट एवं महाराजा गेट आदि का निर्माण करते हैं. इसके अलावा केज व्हील, नांगर, पलाऊ एवं कोपर भी बनाते हैं. गांव के दूसरे युवाओं को भी वह इस रोजगार से जोड़ रहे हैं. उनके साथ चार से पांच युवा काम कर रहे हैं और अपने व परिवार की आर्थिक रूप से मदद कर पा रहे हैं.

मिला रहा है इतना मुनाफा
वह बताते हैं कि उन्होंने फेब्रिकेशन का कार्य करते हुए 4 लाख 28 हजार रुपये का विक्रय किया है. जिससे उन्हें 1 लाख 7 हजार रूपए का मुनाफा हुआ. अब उन्हें फेब्रिकेशन का कार्य पचेड़ा गांव के अलावा दूसरे गांव से भी मिलने लगा.

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