CBI की रडार कैसे आई ये रश‍ियन, कैसे चला रहा था नौकरी के नाम पर ‘मौत का सौदा’!

आकर्षक नौकरी दिलाने के नाम पर रूस-यूक्रेन वॉर में भेजने के मामले में सीबीआई ने रशियन मह‍िला को आरोपी बनाया है. यह रश‍ियन मह‍िला तक पहुंचने के ल‍िए सीबीआई रूसी एंबेसी से वीजा दिलाने वाली महिला से चेन्नई में पूछताछ कर रही है. आपको बता दें क‍ि गुरुवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने एक बड़े मानव तस्करी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था, ज‍िसके तहत सीबीआई ने 7 शहरों में 13 ठिकानों पर छापेमारी की अब तक 35 ऐसे लोगों को चिन्हित किया गया है, जिन्हें आकर्षक नौकरी दिलाने के नाम पर इस वार जोन में झोंक दिया गया था.

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने आकर्षक नौकरी के नाम पर लोगों को धोखा देने के मामले में एक रूसी नागरिक को भी अपनी एफआईआर में आरोपी बनाया है. सीबीआई ने जिस रश‍ियन मह‍िला को आरोपी बनाया है उनका नाम क्रिस्टीना है. रश‍ियन मह‍िला क्र‍िस्‍टीना रूस में भारत से भेजे गए लोगों को वॉर जोन में झोंकने का काम करती थी. इसके अलावा रूस में रहने वाले दो भारतीयों को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया है. इनमें से संतोष नाम का व्यक्ति है, जो तमिलनाडु का रहने वाला है. बताया जा रहा है क‍ि संतोष रूस में रहता है. वहीं दूसरा मोइनुद्दीन चिपपा नाम का शख्स है, जो राजस्थान का रहने वाला है लेकिन रूस में रहता है उसे भी आरोपी बनाया गया है.

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सीबीआई में इस मामले में श्रीविद्या नाम की एक महिला से पूछताछ शुरू की है. सीबीआई के मुताब‍िक तमिलनाडु में रहने वाली है इस महिला के पास इस मामले के एजेंट लोगों के दस्तावेज बरामद हुए थे जो कोर‍ियर के जरिए भेजा करते थे और यह महिला रूसी दूतावास या काउंसल्ट के जरिए उन्हें रूस का वीजा दिलाती थी. इस महिला से पूछताछ लगातार जारी है.

कैसे चुनते थे टारगेट
सीबीआई ने देशभर में चल रहे बड़े मानव तस्करी नेटवर्कों का भंडाफोड़ किया है, जो विदेश में आकर्षक नौकरी दिलाने का वादा कर भोले-भाले युवाओं को निशाना बनाते थे. इस तरह के तस्कर एक संगठित नेटवर्क के रूप में काम कर रहे हैं और यूट्यूब आदि जैसे सोशल मीडिया चैनलों व अपने स्थानीय संपर्कों/एजेंटों के माध्यम से भारतीय नागरिकों को रूस में ज्‍यादा वेतन वाली नौकरियों हेतु लुभा रहे थे. इसके पश्चात, तस्करी करके लाए गए भारतीय नागरिकों को लड़ाकू की भूमिकाओं में प्रशिक्षित किया गया और उनकी इच्छा के विरुद्ध रूस (रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र) में अग्रिम ठिकानों पर तैनात किया गया, जिससे उनका जीवन गंभीर खतरे में पड़ गया. यह पता चला है कि युद्ध क्षेत्र में कुछ पीड़ित गंभीर रूप से घायल भी हुए थे.

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