Caste Based Census: नीतीश कुमार खोला राज, किसके कहने पर लिया था जातिगत गणना का फैसला

पटना. बिहार में जातिगत गणना की रिपोर्ट आ गई है. इस रिपोर्ट के आने के बाद जमकर राजनीति हो रही तो साथ ही साथ हक और हकमारी का भी मुद्दा तेजी से उठ रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट पर चर्चा के लिये मंगलवार को विधानमंडल के 9 दलों की बैठक भी बुलाई गई. इस बैठक की खासियत ये रही कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब बैठक को संबोधित किया तो उन्होंने वो राज खोल दिया जिसने बिहार में जातिगत गणना करवाई.

नीतीश कुमार ने इस सर्वदलीय बैठक में उस नेता का नाम भी बता दिया जिनके कहने पर उन्होंने बिहार में जातिगत गणना करवायी गई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैठक में शामिल नेताओं को बताना शुरू किया की जातिगत गणना की शुरुआत कैसे हुई. उन्होंने बताते हुए कहा कि 2019 से हम जाति आधारित गणना कराने के लिये प्रयासरत थे. हम चाहते थे कि 2021 की जनगणना जो हर दस वर्ष में होती है जातीय आधार पर हो. 18 फरवरी 2019 को बिहार विधानसभा एवं बिहार विधान परिषद् द्वारा जनगणना जातीय आधार पर कराने हेतु केन्द्र से सिफारिश करने की संकल्प को सर्वसम्मति से पारित किया गया. इसके बाद 27 फरवरी 2020 को बिहार विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से केन्द्र सरकार से जनगणना 2021 जातीय आधार पर कराने के अनुरोध का प्रस्ताव पारित किया गया.

सीएम ने बताया कि 23 अगस्त 2021 को सभी दलों के प्रतिनिधियों के साथ हमने प्रधानमंत्री से मिलकर जाति आधारित गणना कराने का अनुरोध किया था लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गयी. फिर हमने निर्णय लिया कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना करायेगी. नीतीश कुमार ने बताया कि 1 जून 2022 को विधानमंडल के सभी 9 दलों की बैठक बुलायी गयी, जिसमें सभी दलों के नेताओं ने जाति आधारित गणना पर अपनी सहमति दी. इसके बाद 2 जून 2021 को मंत्रिपरिषद द्वारा इसे पारित किया गया. इस काम में कई प्रकार की समस्यायें आयीं.

सीएम ने कहा कि लेकिन अंततः सर्वेक्षण का कार्य 5 अगस्त 2023 को पूर्ण कर लिया गया, उसके बाद संपूर्ण आंकड़े संग्रहित किये गये. जाति आधारित गणना का काम पूर्ण होने के बाद बापू के जन्मदिन के शुभ अवसर 2 अक्टूबर को आंकड़ों को जारी किया गया. इसके बाद मुख्यमंत्री ने बताया कि आखिरकार जातिगत गणना कराने की प्रेरणा उन्हें कहां से मिली. उन्होंने बताया कि कि जाति आधारित गणना के पीछे मेरी धारणा बहुत पहले से रही है. वर्ष 1990 में पूर्व राष्ट्रपति महामहिम ज्ञानी जैल सिंह जी ने मुझे जातीय आधारित जनगणना की आवश्यकता को समझाया था.

नीतीश ने कहा कि मैं श्रद्धेय मधुलिमये जी और तत्कालीन वित मंत्री मधु दंडवते जी से मिला था. उसके उपरांत मैं तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह जी से मिला था और इस पर चर्चा की थी परंतु उस समय जनगणना पहले ही शुरू हो चुकी थी, इस कारण उसमें कोई बदलाव नहीं हो सका. मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति आधारित गणना की रिपोर्ट में सभी वर्गों की डिटेल जानकारी दी गयी है. पूरे तौर पर ठीक ढ़ंग से सर्वे किया गया है, साथ ही हर जाति की जानकारी दी गयी है. हर परिवार की आर्थिक, शैक्षणिक स्थिति की जानकारी ली गयी है. अब जाति आधारित गणना की रिपोर्ट आने के बाद सभी दलों की राय से हमलोग राज्य के हित में इस पर काम करेंगे.

नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य के सभी लोगों के उत्थान के लिये इस पर आगे विचार विमर्श कार्य किया जायेगा. हमलोगों का मकसद है लोगों को आगे बढ़ाने का, जो पीछे है, उपेक्षित है, उसकी उपेक्षा न हो, सब आगे बढ़ें. उन्होंने कहा कि इन सब चीजों को ही ध्यान में रखकर काम किया जायेगा. हमलोगों का मकसद है सभी का विकास करना, उन्हें आगे बढ़ाना है. राज्य के हित में सबकी सहमति से कार्य करेंगे.

Tags: Bihar News, Bihar politics, Caste Based Census, Nitish kumar

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