चंडीगढ़ सीट (केंद्र शासित प्रदेश)
सबसे पहले बात चंडीगढ़ की करते हैं. यह एक Planned City है. पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों की राजधानी होने के अलावा चंडीगढ़ एक केंद्र शासित प्रदेश भी है. इसे 1949 में जाने माने फ़्रेंच आर्किटेक्ट ले कॉर्बूज़ियेर ने पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कहने पर डिज़ाइन किया था. चंडीगढ़ को 20वीं सदीं के शहरी योजना और वास्तुशिल्प के बेहतरीन नमूनों में गिना जाता है. चंडीगढ़ सीट पर फिलहाल BJP का कब्जा है.
BJP किसे देगी टिकट?
चंडीगढ़ से BJP की तरफ से टिकट पाने के कई दावेदार हैं. सबसे पहला नाम मौजूदा सांसद किरण खेर का चल रहा है. उन्हें फिर से टिकट मिलने की प्रबल संभावना है. दूसरा नाम संजय टंडन का है. ये हिमाचल प्रदेश बीजेपी के सह-प्रभारी भी हैं. लंबे अर्से तक शहर के पार्टी अध्यक्ष रह चुके हैं. लिस्ट में अरुण सूद का भी नाम है. ये चंडीगढ़ के मेयर रह चुके हैं और पिछले तीन साल से शहर के BJP अध्यक्ष हैं. चंडीगढ़ से पार्टी के पुराने नेता सत्यपाल जैन का भी नाम चल रहा है. वो 1996 और 1998 में यहां से सांसद बने थे. अभी वो देश के अतिरिक्त महाधिवक्ता यानी एडिशनल सॉलिसिटर जनरल हैं.
विपक्ष किसे देगा मौका?
चंडीगढ़ सीट पर कांग्रेस की तरफ से एक बार फिर से पवन कुमार बंसल को टिकट दिया जा सकता है. पवन कुमार बंसल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और यूपीए सरकार में रेल मंत्री रह चुके हैं. पिछले चुनाव में वो किरण खेर से हार गए थे. लेकिन 2019 को छोड़ दें तो पवन कुमार बंसल इस सीट से 1999, 2004 और 2009 में लगातार तीन बार जीत चुके हैं. बंसल के अलावा कांग्रेस से हरमोहिंदर सिंह लकी का नाम भी चल रहा है. लकी चंडीगढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं. \
अमृतसर सीट (पंजाब)
अब सिखों के पवित्र स्वर्ण मंदिर के नगर अमृतसर की बात करते हैं. ये पंजाब का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. इसकी स्थापना सिखों के चौथे गुरु राम दास ने की थी. अमृतसर का नाम आज़ादी की लड़ाई से भी जुड़ा है. यहीं पर जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ था. ये सीट फिलहाल कांग्रेस के पास है.
किस पर दांव लगाएगी कांग्रेस?
कांग्रेस से इस सीट के लिए जिन उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा कर रही है, उनमें सबसे पहला नाम मौजूदा सांसद गुरजीत सिंह औजला का है. औजला की दावेदारी काफी मज़बूत मानी जा रही है. दूसरा नाम ओम प्रकाश सोनी का भी चल रहा है. वह पंजाब के डिप्टी सीएम रह चुके हैं. पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू की दावेदारी से इनकार नहीं किया जा सकता. ये पंजाब के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. धुआंधार भाषणों और वक्तव्यों के लिए मशहूर नवजोत सिंह सिद्धू को भी यहां से टिकट मिल सकता है.
BJP गठबंधन किसे खड़ा करेगी?
BJP ने पंजाब में अकाली दल के साथ गठबंधन किया है. भारतीय जनता पार्टी यहां से भारत के अमेरिका में पूर्व राजदूत तरनजीत सिंह संधू को उम्मीदवार बना सकती है. संधू का लंबा राजनयिक करियर रहा है. अगर इस सीट से अकाली दल का उम्मीदवार लड़ा, तो ज़्यादा संभावना है कि पूर्व विधायक अनिल जोशी यहां से उम्मीदवार बनाए जाएं. इसके अलावा राजिंदर मोहन सिंह छीना का नाम भी चर्चा में है, ये शिक्षा के क्षेत्र में काफी सक्रिय रहे हैं. छीना पंजाब बीजेपी के उपाध्यक्ष रहे हैं. उन्होंने अमृतसर से 2017 में उपचुनाव भी लड़ा था. BJP इनके नाम पर भी विचार कर रही है. लिस्ट में हरविंदर सिंह का नाम भी है.
किशनगंज सीट (बिहार)
किशनगंज बिहार का इकलौता मुस्लिम बहुल जिला है. पहले ये नेपाल का हिस्सा था. तब इसका नाम नेपालगढ़ था. फिर मुगलों ने इसे जीत कर अपने राज में शामिल किया. यहां महानंदा जैसी कई नदियां बहती हैं. किशनगंज सीट पर अभी कांग्रेस का कब्जा है.
कांग्रेस किस पर जताएगी भरोसा?
किशनगंज सीट पर बतौर उम्मीदवार मौजूदा सांसद मोहम्मद जावेद का ही चल रहा है. दूसरा नाम मोहम्मद इज़हारुल हुसैन का चल रहा है. ये किशनगंज विधान सभा सीट से विधायक हैं. बहादुरगंज से पूर्व विधायक मोहम्मद तौसीफ आलम भी टिकट के दावेदार हैं.
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NDA किसे बनाएगी उम्मीदवार?
पिछले बार ये सीट जनता दल यूनाइटेड हार गयी थी. इसलिए एक बार फिर से ये सीट BJP के खाते में जाने की संभावना बन रही है. ये तभी होगा जब NDA के घटक दलों में सीटों की अदला-बदली हो. BJP अगर ये सीट लड़ेगी, तो एक बार फिर से पूर्व केंद्रीय मंत्री शहनवाज हुसैन यहां से उम्मीदवार हो सकते हैं. अगर जनता दल यूनाइटेड के खाते में ये सीट गई, तो पार्टी के पास उम्मीदवारों की एक लंबी फ़ेहरिस्त हैं. इसमें मोहम्मद मुजाहिद आलम का नाम भी शामिल है, जो कोचाधामन से विधायक रह चुके हैं. नौशाद आलम का नाम भी चर्चा में है, ये जनता दल यूनाइटेड के ज़िला अध्यक्ष भी हैं और मंत्री रह चुके हैं.
पूर्णिया (बिहार)
आखिर में बिहार के पूर्णिया सीट के बारे में जानते हैं. 2019 में पूर्णिया सीट से जनता दल यूनाइटेड के संतोष कुमार कुशवाहा जीते थे. जेडीयू के संतोष कुमार कुशवाहा ने कांग्रेस के उदय सिंह को हराया था. पूर्णिया में 2019 में कुल 11,53,940 वोट पड़े थे. जिसमें संतोष कुशवाहा को सबसे ज़्यादा 6,32,924 वोट मिले. इनके निकटतम प्रतिद्वंदी को 3,69,463 वोट मिले. 2,63,461 वोटों के अंतर से जीते.
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NDA किसे चुनेगा प्रत्याशी?
पूर्णिया लोकसभा सीट पर पिछले दो बार से जनता दल यूनाइटेड का कब्जा रहा है. इस सीट से संतोष कुशवाहा सांसद हैं. वो नीतीश कुमार के विश्वास पात्र रहे हैं और कुशवाहा जाति से आते हैं. इसलिए उनके टिकट कटने की संभावना ना के बराबर हैं.
महागठबंधन किसे देगी मौका?
महागठबंधन में शामिल कांग्रेस इस बार इस सीट से उम्मीदवार उतारेगी. कांग्रेस से दो बार सांसद रहे उदय सिंह के अलावा अमरनाथ तिवारी या मधेपुरा और नब्बे के दशक में पूर्णिया से भी सांसद रहे पप्पू यादव भी उम्मीदवारों की सूची प्रबल दावेदार हैं. हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने अब तक सीटों के नाम फाइनल ना होने के कारण उम्मीदवारों के नाम शॉर्टलिस्ट नहीं किए हैं.
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