इस्लामाबाद. भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 (CAA-2019) को लंबे इंतजार के बाद लागू कर दिया गया है. केंद्र सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है. अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अत्याचार के शिकार अल्पसंख्यक समुदाय हिन्दू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई शरणार्थी भारत की नागरिकता हासिल कर सकते हैं. इससे पहले उन्हें कुछ जरूरी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करना होगा. भारत के इस कदम से धर्म के आधार पर बने पड़ोसी देश पाकिस्तान को मिर्ची लगी है. भारत में सीएए लागू होने के बाद पाकिस्तान ने ऐसा बयान दिया है, जिसे सुनकर हंसी छूट जाएगी.
अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की इंतहा पार करने वाले पाकिस्तान ने भारत के नए नागरिकता (संशोधन) कानून को भेदभावपूर्ण करार दिया है. हिन्दुओं, सिखों, ईसाइयों पर बेइंतहा अत्याचार करने वाले पड़ोसी देश ने दावा किया कि यह कानून लोगों के बीच उनकी आस्था के आधार पर भेदभाव करता है. सीएए के कार्यान्वयन पर टिप्पणी करते हुए पाकिस्तान विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने कहा, ‘जाहिर तौर पर कानून और प्रासंगिक नियम भेदभावपूर्ण प्रकृति के हैं, क्योंकि ये लोगों के बीच उनकी आस्था के आधार पर भेदभाव करते हैं.’ हास्यास्पद यह है कि जिस देश का गठन ही धर्म के आधार पर हुआ है, वह आस्था और धर्म के नाम पर भेदभाव करने की दलील दे रहा है.
CAA आज से हुआ लागू, अब देश भर में गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता
क्या बोला पाकिस्तान?
मुमताज जहरा बलूच ने आरोप लगाया, ‘इस कानून के नियम और कानून गलत धारणा पर आधारित हैं कि क्षेत्र के मुस्लिम देशों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जा रहा है और भारत अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित आश्रय स्थल है.’ बलूच ने कहा कि पाकिस्तान की संसद ने 16 दिसंबर 2019 को कानून की आलोचना करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें इसे समानता और गैर-भेदभाव के अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के खिलाफ बताया.
भारत का पक्ष
भारत सरकार ने सोमवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 लागू किया, जिससे 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया. सरकार ने यह भी कहा है कि सीएए पर भारतीय मुसलमानों को किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस कानून का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है. उनके पास अपने समकक्ष हिंदू भारतीय नागरिकों के समान अधिकार हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 15, 2024, 10:19 IST