नई दिल्ली:
Budget 2024 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज अपना पहला अंतरिम बजट पेश किया. साल 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले मोदी सरकार का ये आखिरी बजट है. बजट में आयकरदाताओं को कोई राहत नहीं दी गई है. 7 लाख रुपये के टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है. अंतरिम बजट में इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं करने का ऐलान किया है. इनकम टैक्स में राहत नहीं मिलने से मिडिल क्लास के लिए बड़ा झटका है, मिडिल क्लास बार वो स्लैब में राहत मिलने की उम्मीदों के साथ बजट का इंतजार करता है.
अपने बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि पिछले 10 साल में इनकम टैक्स फाइल करने वाले लोगों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है. यह सरकार के लिए अच्छी बात है. वित्त मंत्री सीतारमण ने टैक्स चुकाने वाले लोगों का धन्यवाद करते हुए कहा कि सरकार ने टैक्स की दरों में कमी की है. नए टैक्स रेजीम में 7 लाख रुपए तक की आमदनी पर कोई भी टैक्स नहीं है. वित्ता वर्ष 2013-14 में यह रकम 200000 रुपये थी. खुदरा कारोबार के लिए इनकम टैक्स राहत की लिमिट 2 करोड़ से बढ़कर 4 करोड़ कर दी गई है. इसी तरह प्रोफेशनल के लिए 50 लाख रुपए की सीमा को बढ़ाकर 75 लाख रुपये की गई है. वहीं, कॉरपोरेट टैक्स की दर 30 फीस दिन से घटकर 22 फीसदी की गई है. नए मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के लिए यह दर 15% कर दी गई है. पिछले 5 साल में मोदी सरकार ने टैक्स चुकाने वाले लोगों को अधिक से अधिक सुविधा देने की कोशिश की है. इसीलिए भारत सरकार ने फेसलेस टैक्स एसेसमेंट की शुरुआत की है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि 93 दिन से टैक्स एसेसमेंट की समय सीमा घटकर अब 10 दिन कर दी गई है इससे लोगों को जल्दी रिफंड मिलने लगा है.
वर्ष 2023 में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की ओर से बजट 2023 और वित्तीय वर्ष के दौरान घोषित आयकर कानूनों में कुछ अहम बदलाव देखे गए हैं, हालांकि, बदलावों की घोषणा 2023 में की गई थी, लेकिन जब आप जुलाई 2024 में अपना आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय इनकम टैक्स का भुगतान करेंगे तो वे आप पर प्रभाव डालेंगे. आइए इन आयकर बदलावों पर एक नज़र डालते हैं जो 2024 में आप पर कैसे प्रभाव डालेंगे.
1. नई कर व्यवस्था में इनकम टैक्स स्लैब बदले गए: नई कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब में बदलाव ने इसे पुरानी कर व्यवस्था की तुलना में अधिक आकर्षक बनाया गया. ये बदलाव उन लोगों के लिए फायदेमंद होंगे जो पुरानी कर व्यवस्था में कर-बचत निवेश और व्यय करने में असमर्थ हैं. नई कर व्यवस्था उपलब्ध होने से पहले इस श्रेणी के लोगों को अक्सर अधिक कर टैक्स देना पड़ता था.
2. नई कर व्यवस्था के तहत मूल छूट सीमा में बढ़ोतरी: इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव के साथ-साथ नई कर व्यवस्था के तहत मूल छूट सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपये किए गए हैं. जो पहले 2.5 लाख रुपये थे. यानी आप वित्त वर्ष 2023-24 के लिए नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनते हैं तो आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य नहीं होगा. बुनियादी छूट सीमा में बढ़ोतरी से उन लोगों को 15,000 रुपये (50,000 रुपये का 30%) तक की बचत करने में मदद मिलेगी.
3. नई कर व्यवस्था डिफ़ॉल्ट कर व्यवस्था बन गई: 1 अप्रैल, 2023 से, नई टैक्स व्यवस्था डिफ़ॉल्ट कर व्यवस्था बन गई. इसका मतलब यह हुआ कि यदि कोई व्यक्ति वेतन से या आयकर रिटर्न दाखिल करते समय TDS के लिए कर व्यवस्था निर्दिष्ट नहीं करता है, तो आयकर देयता की गणना नई कर व्यवस्था आयकर स्लैब के आधार पर की जाएगी.