Blue Sky Reason: आसमान को आप कहीं से निहारें नीला ही नजर आता है. सवाल यह है कि यह पूरी तरह किसी और रंग का क्यों नहीं दिखाई देता. चाहे आप भारत में हों, यूरोप में हों या किसी और जगह पर. चाहें मैदान में हों, रेगिस्तान में या जंगल में आसमान का रंग हर जगह नीला. यह सवाल आपको परेशान करता होगा. खासतौर से छात्रों के मन में तो कई तरह के सवाल कि ऐसा क्यों. दरअसल इसके पीछे कोई और वजह नहीं है. सिर्फ और सिर्फ भौतिक विज्ञान इसका जवाब देने में सक्षम हैं. इसलिए हम यहां समझने की कोशिश करेंगे कि आसमान नीला ही क्यों.
यह है वजह
हमें अपने ठीक ऊपर आसमान में नीला रंग दिखाई देता है. इसके लिए सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल के साथ कैसे संपर्क करता है उसे समझना जरूरी है. दृश्यमान प्रकाश स्पेक्ट्रम यानी जिन रंगों को हम देख सकते हैं उनमें कुल सात रंग होते हैं जो लाल रोशनी से लेकर बैंगनी तक बिखरे होते हैं. नेशनल वेदर सर्विस के मौसम विज्ञानी मार्क चेनार्ड ने लाइव साइंस को बताया कि जब सभी रंग आपस में मिल जाते हैं तो रोशनी सफेद दिखाई देती है. लेकिन एक बार जब सूर्य से सफेद रोशनी पृथ्वी पर पहुंचती है, तो कुछ रंग वायुमंडल में मॉलिक्यूल के साथ संपर्क करना शुरू कर देते हैं.
तरंगों की दूरी से रंग का कनेक्शन
स्पेक्ट्रम में प्रत्येक रंग की एक अलग तरंग दैर्ध्य होती है. इसका अर्थ यह है कि कोई भी रंग कितनी दूरी तय करता है. उदाहरण के लिए, लाल और नारंगी प्रकाश तरंगों की तरंग दैर्ध्य लंबी होती है जबकि नीले और बैंगनी प्रकाश की तरंग दैर्ध्य बहुत कम होती है. प्रकाश की छोटी तरंग दैर्ध्य है जो पृथ्वी के वायुमंडल में हवा और गैस अणुओं द्वारा इधर उधर बिखरती हैं या अवशोषित हो जाती हैं, उनके अलग दिशा में फिर से उत्सर्जित होने की संभावना अधिक हो जाती है. वायुमंडल में अणु, मुख्यतः नाइट्रोजन और ऑक्सीजन, रेले स्कैटरिंग नामक घटना के माध्यम से नीले और बैंगनी प्रकाश को हर दिशा में बिखेरते हैं। यही आकाश को नीला बनाता है.