हाइलाइट्स
बिहार की राजनीति में पूर्व सीएम जीतन राम मांझी का माइंड गेम, दो मंत्री पद की मांग.
राजद की ओर से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को CM पद के ऑफर का मांझी ने किया जिक्र.
बिहार की राजनीति में सीटों का गणित ऐसा कि सत्ताधारी दल पर हरदम लटक रही तलवार.
पटना. बिहार की सियासत में राष्ट्रीय जनता दल के सरकार से बाहर जाने और जदयू और बीजेपी मिलकर एनडीए की सरकार बनाने के बाद भले ही सबकुछ शांत लग रहा हो, पर अंदरखाने सियासत गरमाई हुई है. तेजस्वी यादव के बयान बिहार में अभी खेला बाकी है के बाद कयासों का बाजार गर्म है. बिहार की सियासत में सबसे बड़ी चर्चा इस बात को लेकर है कि अगर सचमुच बिहार एम खेला होना बाकी है तो इस खेला में किसकी सबसे बड़ी भूमिका रहने वाली है? इसी बीच जीतन राम मांझी का ताजा बयान नई उठापटक की ओर इशारा कर रहा है.
दरअसल, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने नई सरकार में मंत्रिमंडल के विस्तार से पहले दो मंत्री पद की मांग रखते हुए कहा है कि हमें दो मंत्री पद चाहिए, अन्यथा हमारे साथ नाइंसाफी होगी. मांझी ने यह भी कहा कि हमें मुख्यमंत्री पद तक का ऑफर आया था, लेकिन हम झुके नहीं क्योंकि हम बिकाऊ नहीं हैं.
जीतन राम मांझी क्यों हो गए हैं महत्वपूर्ण?
बिहार में एनडीए की सरकार बन गई है पर फ्लोर टेस्ट होने में अभी सप्ताह भर की देरी है. साथ ही मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर दलों के बीच खींचना जारी है, ऐसे में जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के पास चार विधायक हैं. मांझी के चार विधायक फिलहाल पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए महत्वपूर्ण हो गया है।राजद और सहयोगी दलों के आंकड़े को देखे तो बहुमत के मैजिक आंकड़े को हासिल करने में जीतन राम मांझी की भूमिका अहम हो गई है.
माना जा रहा है कि जीतन राम मांझी को अगर सीएम का ऑफर एक बार फिर गठबंधन के तरफ से मिलता है तो मांझी का दांव सरकार के लिए भारी पड़ सकता है. जीतन राम मांझी के कदम पर गठबंधन और एनडीए दोनों की नजर है. फिलहाल मांझी कह रहे हैं कि हम एनडीए के साथ ही रहेंगे पर यह भी सही है कि मांझी बिहार की सियासत मे हमेशा चौंकाने केलिए जाने जाते हैं.
मांझी क्यों हैं महत्वपूर्ण?
हम प्रमुख जीतन राम मांझी अभी बिहार की सियासत के दोनों खेमों, एनडीए और महागठबंधन, दोनों के लिए हॉट केक बने हुए हैं. वह आरजेडी की नैया पार लगाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं, साथ ही वह एनडीए के लिए भी बेहद खास हैं. दरअसल, जीतनराम की पार्टी HAM के 4 विधायक हैं, अगर आरजेडी उन्हें अपने पाले में ले लेती है, तो महागठबंधन 118 सीटों का आकंड़ा छू लेगा.
ऐसे में आरजेडी के 79, कांग्रेस के 19 और लेफ्ट के 16 विधायक भी शामिल हैं.अगर AIMIM का एक और एक निर्दलीय विधायक भी महागठबंधन के साथ जाते हैं तो ये आंकड़ा 120 तक पहुंच जाएगा. हालांकि सरकार बनाने के लिए 2 विधायकों की जरूरत तब भी पड़ेगी. खबर है कि इसके लिए भी अंदरखाने जुगत जारी है और जदयू के ऐसे विधायकों पर जो, तेजस्वी को चाहते हैं उस पर दांव खेला जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : February 2, 2024, 15:48 IST