बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर राजनीति में लगातार चर्चाएं चलती रहती है। इंडिया गठबंधन के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले नीतीश कुमार को लेकर फिलहाल दावा किया जा रहा है कि उनका एक बार फिर से भाजपा के साथ उनकी नजदीकी बढ़ रही है। इस बात को बल तब और मिल गया जब हरियाणा में देवीलाल की जयंती पर इंडियन नेशनल लोकदल के उस कार्यक्रम से नीतीश ने दूरी बना ली जिसमें विपक्ष के कई बड़े नेता शामिल होने वाले है। नीतीश कुमार इसकी जगह पटना में आयोजित पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती समारोह में शामिल होने पहुंच गए। इसी के बाद एनडीए से नजदीकियों को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई।
इसको लेकर पटना में पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछ दिया। जवाब में नीतीश कुमार ने कहा कि आपको पता है कि हमने विपक्षी गठबंधन को एकजुट किया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कौन क्या बोलता है, वह मुझे पता नहीं। उन्होंने कहा कि कौन क्या बोलता है, इससे हमें मतलब नहीं है, हम हर रोज की तरह काम कर रहे हैं। हालांकि, देवीलाल की जयंती समारोह में शामिल होने के लिए नीतीश के बेहद करीबी मंत्री विजय चौधरी हरियाणा का दौरा करेंगे। हरियाणा के कैथल में एक बड़ी रैली का आयोजन किया गया है। इसमें उद्धव ठाकरे, तेजस्वी यादव, फारूक अब्दुल्ला, अखिलेश यादव, सीताराम येचुरी, पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक जैसे बड़े नेता शामिल हुए।
महिला बिल का किया था समर्थन
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि वह संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के आरक्षण के समर्थन में हैं, पर इसमें अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) और आर्थिक रूप से पिछड़ी जाति (ईबीसी) के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व के प्रावधान होने चाहिए। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान केंद्र से जनगणना कराकर महिला आरक्षण विधेयक के प्रस्तावों को लागू करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने और जाति जनगणना की उनकी लंबे समय से जारी मांग पर विचार करने का आग्रह किया। नीतीश ने कहा, ‘‘मैं महिला आरक्षण के समर्थन में रहा हूं। उन्हें प्रतिनिधित्व का आश्वासन क्यों नहीं दिया जाना चाहिए? जब मैं संसद का सदस्य था तब मेरे भाषण इसको लेकर मेरे रुख की गवाही देंगे।’’