नीरज कुमार/बेगूसराय. बिहार में वर्षों से एक कहावत प्रचलित है, “जमीन और जाल में बहुत उलझन होते हैं.” पहले इन उलझनों को साइड कर भी लोग जमीन बेच लिया करते थे. मामला फंसने के बाद थाना-पुलिस और कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाते रहते थे. लेकिन, अब ऐसा नहीं चलेगा. जी हां, बिहार में पुश्तैनी जमीन बेचने के लिए नया नियम लागू हुआ है, जिससे हर किसी के पसीने छूटने लगे हैं. इन दिनों लोकसभा चुनाव से ज्यादा बिहार में यही हॉट टॉपिक बना हुआ है.पहले लोग मौखिक हिस्सेदारी तय कर जरूरत के हिसाब से कम या ज्यादा जमीन बेच लिया करते थे, लेकिन अब वंशावली बनवाने की भी एक विधिवत प्रक्रिया घोषित कर दी गई है.
निबंधन सहयोगी राम बहादुर महतो बताते हैं कि नए आदेश के बाद अब वंशावली बनाने के लिए हर किसी को लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा. वे बताते हैं कि पहले सरपंच के कार्यालय में फॉर्म भरकर देना होता था. इसके बाद वहां से वैरिफिकेशन कर वे आपको मोहर मारकर वंशावली जारी कर देते थे. यह हर कार्यालय में वैलिड माना जाता था. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब वंशावली फॉर्म पर स्थानीय मुखिया, आंगनबाड़ी सेविका, चौकीदार और वार्ड पंच हस्ताक्षर करेंगे. इसके बाद इस फॉर्म को आपको अपने अंचल कार्यालय में जमा कराना होगा. वहां से जांच के लिए फॉर्म सरपंच को भेजा जाएगा. उनके सत्यापन के बाद वंशावली जारी होगी.
मार्च 2024 से इन बातों का रखें ख्याल
बिक्रमपुर के ग्राम प्रधान रमेश सिंह ने लोकल 18 के जरिए जानकारी साझा करते हुए बताया कि पुश्तैनी जमीन बेचने के लिए अब कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी है. उन्होंने बताया कि आप जितने भाई हैं, सभी अपने-अपने हिस्से की जमीन का शेड्यूल बना लें. फिर इसका लगान रशीद कटवा लें. ऐसा होने के बाद ही आप पुश्तैनी जमीन को बेच सकते हैं. यह जानकारी नए नियमों के आधार पर इन्होंने दी. दूसरी ओर, मंझौल रजिस्ट्री कार्यालय से जुड़े निबंधन सहयोगी राम बहादुर महतो बताते हैं कि पुश्तैनी जमीन बेचने के लिए विक्रेता के नाम से जमाबंदी होनी चाहिए. रसीद पर खाता और खेसरा नंबर भी ठीक से लिखा होना चाहिए.
.
Tags: Begusarai news, Bihar News, Local18
FIRST PUBLISHED : March 4, 2024, 10:33 IST