पटना. बिहार की नीतीश सरकार ने 2 अक्टूबर गांधी जयंती के मौके पर जातीय गणना के आंकड़ों को सार्वजनिक कर दिया. इसको लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता आरसीपी सिंह ने बिहार सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए पूछा कि इससे क्या होगा? आरसीपी सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार या लालू यादव यह बताएं कि क्या अति पिछड़ों को उसका वास्तविक अधिकार मिल रहा है? बीजेपी नेता नेता ने राजद को अपना अध्यक्ष किसी पिछड़ी जाति के नेता को बनाने की हिम्मत दिखाने की मांग की है.
आरसीपी सिंह ने कहा कि सभी लोग जानते हैं कि बिहार में अतिपिछड़ों की आबादी सबसे ज्यादा है जो सामने निकलकर आया है. इसलिए राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष को चाहिए कि वो अपना प्रदेश अध्यक्ष को बदल दें. नीतीश कुमार को लगता था कि जातीय जनगणना से जितनी भी बुराई है सब दूर हो जाएगा. इस जातीय जनगणना से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है. बिहार में रोजगार की जरूरत है. जब तक युवक और युवती को रोजगार नहीं मिलेगा तब तक कोई भी गणना से कोई फायदा नहीं होने वाला है.
आरसीपी सिंह ने कहा कि जातिगत गणना सर्वे कराने पर 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च किया. इन आंकड़ों को लेकर बिहार की जनता क्या करेगी? आरसीपी ने कहा कि बिहार में मूल समस्या गरीबी और बेरोजगारी है इस पर काम क्यों नहीं हो रहा है. जातीय गणना से किसकों क्या फायदा मिलेगा यह देखने वाली बात होगी. बिहार में कोई राजनीतिक समीकरण नहीं होगा.
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FIRST PUBLISHED : October 2, 2023, 18:06 IST