Bihar: सिर्फ दिल्ली ही नहीं बिहार के सरकारी स्कूल भी पेश करते हैं मिसाल

पूर्वी चंपारण. कभी दिल्ली के सरकारी स्कूलों की देशभर में खूब चर्चा होती थी. लेकिन, अब बिहार के स्कूलों की भी तस्वीर तेजी से बदल रही है. बिहार के पूर्वी चंपारण में सरकारी स्कूलों की तस्वीर निजी स्कूलों से भी अच्छी आने लगी है. कहते हैं कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती कुछ ऐसा ही कर दिखाया है पूर्वी चंपारण के जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने. शिक्षा विभाग में बदलाव के निर्देश क्या मिले यहां स्कूलों की तस्वीर ही बदलने लगी. जिला शिक्षा पदाधिकारी खुद निरीक्षण कर सरकारी विद्यालयों में क्लास ले रहे हैं. इसके साथ ही जिले के सभी शिक्षा पदाधिकारियों को निरीक्षण के दौरान बच्चों को पढ़ाने का निर्देश भी दिया गया है.

इसके बाद पूर्वी चंपारण के स्कूलों की स्थिति तेजी से बदल गई है. यहां के स्कूलों में सुधार के दिशा में जो प्रयास किए गए उसका असर सामने आने लगा है. जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने दीर्घकालिक सकारात्मक बदलाव की दिशा में स्कूलों के संचालन को लेकर दिशा निर्देश दिया है. सुबह की मॉर्निंग असेंबली को पूर्वी चंपारण में चेतना सत्र का नाम दिया गया है. आधे घंटे से लेकर 1 घंटे तक चलनेवाले इस चेतना सत्र में सामान्य ज्ञान, तार्किक शक्ति, शब्दावली, अलग-अलग प्रार्थनाएं, नैतिक शिक्षा, प्रेरक प्रसंग आदि की चर्चा की जाती है.

इस चेतना सत्र और इसके लिए मैटेरियल तैयार करने के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी ने अनुमंडल स्तर पर शैक्षणिक कोषांग का गठन किया जिसके लिए कुछ शिक्षकों को चयनित किया गया. पूर्वी चंपारण में लागू चेतना सत्र को शिक्षा मंत्री भी सराहना कर चुके हैं. अब विद्यालय में सफाई व्यवस्था बच्चों के जिम्मे नहीं बल्कि हाउसकीपिंग की व्यवस्था कर दी गई है. मानव संसाधन विभाग मंत्रालय भारत सरकार की ओर से बिहार के इस शिक्षा अधिकारी को सम्मानित भी किया जा चुका है. पूर्वी चंपारण के जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि ढाई साल पहले उन्होंने पूर्वी चंपारण में शिक्षा विभाग की कमान संभाली.

सरकारी स्कूलों की हालत देखकर कुछ करने की रणनीति तैयार की गई. आज दावे के साथ कहा जा सकता है कि सरकारी स्कूलों की स्थिति निजी विद्यालयों से किसी मायने में कम नहीं है. हम जब भी किसी स्कूल में निरीक्षण करते तो बच्चों का क्लास लेना नहीं भूलते क्योंकि जब कोई अधिकारी क्लास लगा तभी बच्चों की क्षमता के साथ ही शिक्षक पर नजर रखी जा सकती है. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में शिक्षक विभाग के नए निर्देशों ने उनकी मुहिम को बल दिया है.

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