पटना. बिहार में हुई जातिगत गणना सरकार के लिए गले की हड्डी बन गई है. प्रतिदिन इसमें कोई ना कोई गलती निकालकर नीतीश कुमार को कटघरे में खड़ा किया जाता है तो वहीं विपक्ष जातीय गणना की खामियां गिनाने में लगा है. बात यहां तक पहुंच गई है कि अब सत्ताधारी पार्टी जेडीयू के सांसद और पार्टी के पदाधिकारी ही नहीं बल्कि आरजेडी के विधान पार्षद और कुछ जातीय नेता भी सरकार पर हमलावर हैं.
इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से लेकर पटना सांसद रविशंकर प्रसाद और उपेंद्र कुशवाहा ने भी आरोप लगाया कि जातिगत गणना के दौरान ना उनके, ना उनके परिवार की कोई जानकारी ली गई है. कई अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी इसी तरह के आरोप लगाए हैं. इन आरोपों के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह फैसला लिया है कि राज्य के सभी विधायकों और विधान पार्षदों को गणना की पूरी व्यक्तिगत रिपोर्ट सौंपी जाएगी.
अगले महीने बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान जातिगत जनगणना की विस्तृत रिपोर्ट हाउस में सरकार रखेगी, जिसके बाद सभी पार्टियों और सभी सदस्यों की राय ली जाएगी और साथ ही सभी सदस्यों की व्यक्तिगत जानकारी भी उन्हें मुहैया करा दी जाएगी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह मन बनाया है कि उनके ऊपर जातीय गणना को लेकर जो लगातार सवाल खड़े किए जा रहे हैं, ऐसे आलम में एक बार जब बिहार विधानसभा के पटल पर जातीय जनगणना की पूरी विस्तृत रिपोर्ट रख दी जाएगी उसके बाद सबका भ्रम दूर हो जाएगा. मालूम हो कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले जातिगत गणना की रिपोर्ट को काफी अहम माना जा रहा है.
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Tags: Caste Based Census
FIRST PUBLISHED : October 28, 2023, 15:32 IST