Bihar: नीतीश सरकार का 75 प्रतिशत आरक्षण का फैसला, राहें कितनी आसान और मुश्किल?

पटना. नीतीश सरकार ने बिहार में जातिगत आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 65% करने और आरक्षण 75 फीसदी तक ले जाने का संकल्प ले लिया है. बिहार देश का पहला ऐसा राज्य है जहां आरक्षण की सीमा 75% तक करने का सरकार ने प्रस्ताव पारित कर दिया है. जदयू राजद और कांग्रेस की महागठबंधन की सरकार ने कैबिनेट से इसके लिए प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है.

नीतीश सरकार ने पिछड़ा वर्ग ओबीसी के लिए  18 फीसदी अति पिछड़ा ओबीसी के लिए 25 फीसदी एससी के लिए 20 फीसदी और एसटी के लिए दो फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव पास किया है. ईडब्ल्यूएस का 10% आरक्षण जोड़ दिया जाए तो कल 75 फीसदी आरक्षण हो जाएगा. 9 नवंबर को विधानसभा और विधान परिषद में आरक्षण के नए प्रस्तावों को लेकर विधेयक पेश होना है. विधेयक पॉश जाने के बाद उसे पर चर्चा होगी और फिर उसे पारित भी कर दिया जाएगा.

1992 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इंदिरा साहनी केस के फैसले में किसी भी हालत में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं देने का नियम बनाया हुआ है. मंडल कमीशन की सिफारिश पर अमल के फैसले के खिलाफ इंदिरा साहनी की अपील पर यह फैसला आया था. अब देखना होगा बिहार में प्रस्तावित 75 फ़ीसदी आरक्षण लागू होना एक विधि और न्यायिक पहेली है. तमिलनाडु देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां सबसे ज्यादा 69% आरक्षण है.

तमिलनाडु में 1994 से लागू इस आरक्षण पर अब तक न्यायालय का हस्तक्षेप नहीं हो पाया है. इसका कारण यह है कि जिस समय यह आरक्षण प्रावधान लागू किया गया उस समय वहां की मुख्यमंत्री जयललिता और देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंग राव के बीच बेहतर संबंध है. नहीं तो न्यायालय द्वारा इंदिरा साहनी फैसले के आधार पर मराठा और जाट आरक्षण को 50 फीसदी से ऊपर बात कर खारिज किया जा चुका है.

बिहार में भारतीय जनता पार्टी ने नीतीश सरकार के इस आरक्षण के प्रस्ताव को समर्थन देने की घोषणा कर दी है. लेकिन, इस विधेयक को असली चुनौती का सामना विधानसभा और विधान परिषद से पारित होने के बाद करना होगा. राष्ट्रपति की मंजूरी हो या फिर नौवीं अनुसूची में डालने के लिए संविधान संशोधन या न्यायालय में केस होने पर केंद्र का स्टैंड नीतीश सरकार के इस आरक्षण विधेयक को हर हाल में केंद्र सरकार के मदद की जरूरत पड़ेगी.

जातीय गणना रिपोर्ट सामने आने के बाद हिंदू वोटरों में जातीय आधार पर फुट पड़ने की आशंका से बीजेपी पहले ही तल्ख रवैया अख्तियार किए हुए हैं. ऐसे में  पिछड़ों और दलितों का आरक्षण बढ़ाने का समर्थन कर चुकी भाजपा महागठबंधन सरकार की योजना पर किस हद तक साथ देती है. उस पर 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार में पार्टियों का तेवर भी तय होगा.

Tags: Bihar News, PATNA NEWS, Reservation news

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