गोपालगंज. बिहार समेत देश भर में लोक आस्था के महापर्व यानी छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है. छठ पूजा को लेकर पूरा बिहार भक्तिमय हो चुका है. इसी बीच सूबे के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के पैतृक प्रखंड फुलवरिया अंतर्गत संग्रामपुर गांव में मुस्लिम समुदाय ने एक मिसाल पेश की है. इस संग्रामपुर गांव के आठ मुस्लिम समुदाय की महिलाएं 20 वर्षों से छठी मैया का व्रत कर रही हैं. लोक आस्था के महापर्व छठ व्रत की शुक्रवार को नहाय खाय के साथ शुरुआत हो चुकी है. शनिवार को खरना है. रविवार को अस्ताचलगामी और सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.
बिहार में छठी मइया की कृपा ऐसी है कि श्रद्धा-भक्ति की सरिता में दूसरे धर्म-समुदाय वाले भी सराबोर हो रहे हैं. उदाहरण के तौर पर संग्रामपुर गांव है जो 20 वर्षों से एक मिसाल कायम किया हुआ है. धर्म की दीवार को तोड़कर शिद्दत के साथ यहां के मुस्लिम समुदाय की महिलाएं छठ का व्रत रखती हैं. संग्रामपुर गांव के निवासी मोहम्मद हबीब नट की पत्नी गुड़िया खातून, मोहम्मद कन्हैया की पत्नी फूलबीवी नेशा, मोहम्मद सगीर आलम की पत्नी सबरा खातून, मोहम्मद आवेश आलम की पत्नी हसीना खातून, मोहम्मद हबीब की पत्नी सैमुन नेशा, मोहम्मद जुमनुद्दीन आलम की पत्नी शबनम खातून, मोहम्मद नसरुद्दीन आलम की पत्नी संतरा खातून, तथा मोहम्मद मेवालाल की पत्नी नूरजहां खातून ने संयुक्त रूप से बताया कि छठी मैया की कृपा से हम सब की घरों के आंगन में किलकारियां गूंजी है.
इस पाक पवित्र पर्व को हम बड़ी शिद्दत के साथ मानते हैं. ये सभी आठ महिलाएं मुस्लिम परिवार से आती हैं, फिर भी छठ का व्रत करती हैं. मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि परिवार के पुरुष समाज का भी भरपूर सहयोग मिलता है. गुड़िया खातून बताती हैं कि दर्जनों डॉक्टर से दिखाने के बाद मैं दादी नहीं बन पाई, इसी बीच किसी ने सलाह दी और मैं छठी मैया का व्रत रखा और मेरे आंगन में आज सात बच्चों की किलकारी गूंजती है. इसके बाद छठी मइया चार दिवसीय अनुष्ठान करने लगीं.
मोहम्मद आवेश आलम की पत्नी हसीना खातून पहली बार छठी मैया का व्रत रखी है. उनका कहना है कि मन ही मन मैं छठी मैया से एक बच्चे होने की मन्नत मांगी थी. छठी मैया ने हमारी मन्नत पूरी की है. शुक्रवार को नहाय-खाय पर अन्य मुस्लिम समुदाय के छठ व्रती महिलाओं के साथ हसीना खातून छठी मइया के गीत गुनगुना रही थीं. आंगन में प्रसाद के लिए गेहूं सूख रहा था. विधि-विधान वह आसपास की हिंदू परिवार की महिलाओं से पूछ लेती हैं.
छठ पर्व पर एक तरफ छठी मईया का गीत गाया जाता है, तो दूसरी ओर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. विद्वानों की मानें तो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह पूजा की जाती है. षष्ठी तिथि शुक्र की तिथि मानी जाती है और शुक्र की अधिष्ठात्री स्वयं मां जगदंबिका हैं. इस वजह से छठ माता कहा जाता है और उनके मंगल गीत गाकर उनकी आराधना की जाती है. संग्रामपुर गांव में छठ का व्रत कर रही महिलाओं को देख पुरुषों ने भी बड़ी शिद्दत के साथ सड़कों की सफाई के साथ-साथ छठ घाट की सफाई करते हैं.
संग्रामपुर में मुस्लिम समुदाय की इस महिलाओं की कहानी पूरे बिहार में एक चर्चा का विषय बना हुआ है. मोहम्मद कन्हैया की पत्नी फुलबीवी नेशा ने बताई की जितनी शिद्दत से हम मक्का मदीना में सर झुकाते हैं, उससे भी कहीं ज्यादा शिद्दत के साथ हम छठ का व्रत करते हैं. नूरजहां खातून बताती हैं कि छठी मैया की कृपा से हमारे घर में सुख शांति समृद्धि प्राप्त हुई है. वही गुड़िया खातून बताती हैं कि मेरे परिवार पर छठी मैया का सदैव कृपा रहा है. इस बार मेरे बेटे पर एक विपत्ति आ चुकी है. छठी मैया की कृपा से यदि विपत्ति टल जाता है तो अगले बार मैं 24 कोसी के साथ-साथ छठ घाट पर नाच का कार्यक्रम कर आऊंगी.
छठ व्रत संतान के लिए विशेष रूप से माना जाता है. मुस्लिम समुदाय के छठ व्रत कर रही महिलाओं ने कहा कि पंचायत समिति सदस्य वीरेंद्र पंडित के द्वारा पूजा में हम सबको भरपूर सहयोग मिलता है. पूजा के सामग्री छठ घाट की सफाई और डेकोरेशन की व्यवस्थाएं वीरेंद्र पंडित के द्वारा कराई जाती है. जिससे हम सबको खुशी मिलती है.
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FIRST PUBLISHED : November 17, 2023, 11:11 IST