BHO ने बदली सोच.. तो किसान शुरू की इस फल की खेती, एक बार की लागत, कई बार होता

राजकुमार सिंह/वैशाली. बिहार में खेती-किसानी का ट्रेंड लगातार बदल रहा है. किसानों का नगदी फसल की ओर झुकाव अधिक बढ़ा है. इसमें पपीते की खेती किसानों के लिए कमाई का सर्वोत्तम साधन बन गई है. वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड स्थित बाकरपुर हरपुर गांव के किसान गुलशन कुमार एक एकड़ में पपीते की खेती कर रहे हैं. खास बात यह है कि गुलशन ने जैविक तरीके से पपीता की खेती की है. आम किसानों की तरह गुलशन भी पहले पारंपरिक खेती ही किया करते थे. जिसमें मुख्य रूप से धान और गेहूं उपजाते थे. जब राजापाकर प्रखंड के बीएचओ ने गुलशन को पपीते की खेती करने की सलाह दी तो पपीता की खेती करना प्रारंभ किया.

किसान गुलशन कुमार ने बताया कि शुरुआत में तो गांव के किसानों ने नजरअंदाज कर दिया. लेकिन उनसे हम प्रभावित हो गए. जिसके बाद बीएचओ ने ही उद्यान विभाग से पौधा मुहैया कराया. गुलशन कुमार ने बताया कि एक एकड़ में एक हजार पपीते के पौधे लगाए. पौधे की देखभाल बेहतर तरीके से करने के बाद जब पौधे पूरी तरह तैयार हो गए तो प्रतिदिन दो क्विंटल तक उत्पादन होने लगा. उन्होंने बताया कि स्थानीय बाजार में ही पपीते की बिक्री कर देते हैं. साथ ही व्यापारी भी खेत से ले जाते हैं.

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सालाना हो जाती है 5 लाख की कमाई
गुलशन कुमार ने बताया कि एक पपीता का पौधा व्यस्क हो जाने पर दो साल तक फसल ले सकते हैं. उन्होंने बताया कि एक एकड़ में पपीता की खेती कर सालाना 5 लाख तक की कमाई कर लेते हैं. धान और गेहूं के बनिस्पत पपीता की खेती में मेहनत कम है और मुनाफा भी अधिक है. राजापाकर प्रखंड के बीएचओ ने सोच बदल दी. उन्हीं की मदद से पिछले चार साल से पपीता की खेती करते आ रहे हैं. अब पपीता की खेती का दायरा बढ़ाने पर भी विचार कर रहे हैं.

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