
चौधरी चरण सिंह
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देश में चुनावी बिसात बिछने लगी है। देश के सर्वमान्य किसान नेता चौ.चरण सिंह को भारत रत्न की घोषणा ने अलीगढ़ जिले के जाटलैंड की सियासत में उत्साह का संचार कर दिया है। बात भी वाजिब है, क्योंकि चौ.चरण सिंह का अलीगढ़ की सियासत से गहरा नाता रहा। तीन दशक तक यहां उनकी बादशाहत रही। जिले की सियासत में उनके दखल का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनकी पत्नी व बेटी यहां से विधायक रहीं। उनके राजनीतिक दल लोकदल की बागडोर को आज भी उनके बेहद करीबी चौ.शिवदान सिंह के वंशज संभाल रहे हैं। हां, ये अलग बात है कि चौ.चरण सिंह के बाद इन दोनों परिवारों में दूरियां हो गईं। मगर इतिहास पर गौर करें तो चरण सिंह का अलीगढ़ से बेहद गहरा नाता रहा है।
ये है चौ.चरण सिंह का सियासी जुड़ाव
चौ.चरण सिंह के सियासी अतीत पर गौर करें आजादी के बाद चौ. चरण सिंह कांग्रेस के साथ ही थे। धीरे-धीरे पार्टी में यूपी के तीन गुट बने। जिनमें एक गुट अलीगढ़ के ही सीबी गुप्ता का, दूसरा पूर्वांचल के कमलापति त्रिपाठी का और तीसरा पश्चिम के चरण सिंह का बना। इनमें से कमलापति त्रिपाठी गुट में अलीगढ़ से मोहनलाल गौतम थे, जबकि चरण सिंह गुट में इगलास के कद्दावर जाट नेता चौ. शिवदान सिंह थे। इसी गुटबाजी का परिणाम रहा कि कांग्रेस ने इगलास से शिवदान सिंह का टिकट काटकर मोहनलाल गौतम को 1967 के चुनाव में लड़ाया। इससे चरण सिंह बेहद नाराज हुए। इन्हीं तमाम बातों को लेकर उन्होंने अलग संगठन बीकेडी बनाया, जिसमें सोशलिस्ट, जनसंघ आदि दल शामिल रहे। इस दल ने मिलकर 1967 में ही सरकार बनाई और खुद चरण सिंह मुख्यमंत्री बने। दो साल बाद उन्होंने विधानसभा भंग कर 1969 में फिर चुनाव कराया और इगलास से अपनी पत्नी गायत्री देवी को बीकेडी के बैनर से चुनाव लड़ाया। अलीगढ़ से इस दल ने कुल चार सीटें जीतीं। यूपी में 125 सीटें इस दल ने जीतीं। इगलास इस दल का सियासी केंद्र रहा और शिवदान सिंह उनके प्रतिनिधि रहे। यहीं से प्रदेश की सियासत चलने लगी।
लोकदल को नहीं मिली मान्यता, बीकेडी रहा बैनर
1974 के चुनाव में चरण सिंह ने लोकदल के नाम से पार्टी की मान्यता के लिए आवेदन किया। मगर मान्यता न मिलने के कारण बीकेडी के बैनर से ही चुनाव लड़ा गया। साथ में लोकदल का भी नया बैनर चुनाव में लहराया। देश के कई दिग्गज कर्पूरी ठाकुर, बीजू पटनायक, देवीलाल, सिद्धरमैया आदि इस दल में साथ रहे। इस चुनाव में इगलास व गंगीरी सीट बीकेडी ने जीती। इमरजेंसी के बाद सातों सीटों पर कब्जे का इतिहास भी 1977 में चरण सिंह के नेतृत्व में रचा गया। उन्हीं के नेतृत्व में कांग्रेस विरोधी सभी दलों ने जनता पार्टी के नाम से चुनाव लड़ा। अलीगढ़ में उनके करीबी राजेंद्र सिंह, बाबू सिंह, मोहज्जिज अली बेग चुनाव जीते। वहीं जनसंघ के कल्याण सिंह व किशनलाल दिलेर जीते। 1980 के चुनाव में जनता पार्टी सोशलिस्ट के नाम से चुनाव लड़ा गया। इस चुनाव में उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के रूप में राजेंद्र सिंह की घोषणा कर दी। राजेंद्र सिंह को नेता विरोधी दल बनाया गया। इस बार भी जिले से तीन सीटों पर जीत दर्ज की गई।