Beawar News:रामकृष्ण परमहंस की जयंती का पर्व का हुआ आयोजन, वक्ताओं ने परमहंस के जीवन व व्यक्तित्व पर डाला प्रकाश

Beawar News:मसूदा उपखंड के ग्राम लाखीना में राष्ट्र चिंतक,दार्शनिक एवं आध्यामिक संत ठाकुर रामकृष्ण परमहंस की जयंती का पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया. देशभक्त छोटू काठात के निवास पर आयोजित कार्यक्रम में ब्यावर जिले के विभिन्न संस्थाओं से जुड़े विद्वानों, शिक्षाविदों, लेखकों, कवियों, पत्रकारों, वकीलों, बुद्धिजीवियों, व्यापारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं छात्र-छात्राओं सहित ग्रामीणों ने शिरकत की. 

आंचलिक परिवेश में सादगी भरे गौरवपूर्ण कार्यक्रम के मुख्खय वक्ता उच्च शिक्षा के पूर्व संयुक्त निदेशक डॉ. गुरुदत्त शर्मा ने कहा कि देश में 1840 से 1920 के बीच की एक सदी ऐसी आई थी जब भारत भूमि पर अनेक चिंतकों, दार्शनिकों व आध्यात्मिक गुरुओं ने जन्म लिया था. 

उसी सदी में दुनिया के अन्य देशों में भी ऐसे राष्ट्रचिंतक व दार्शनिक पैदा हुए जिनमें लैनिन, मैक्समूलर, बैबर, रविन्द्रनाथ टैगोर, महात्मा गांधी, आइंस्टीन, जगदीशचन्द्र बसु, डार्बिन, महर्षि अरविन्द, रामकृष्ण परमहंस तथा विवेकानन्द आदि अनेक महापुरुषों के नाम हैं जिन्होंने अपने ज्ञान, चिंतन, दर्शन-एवं-तप- के बल से विज्ञान, अध्यात्म एवं सामाजिक सांस्कृतिक मूल्यों व इतिहास को गौरवान्वित किया और समाज का मार्गदर्शन किया. 

उसके बाद की सदी का अधिकांश समय ऐसा ही रिक्त निकला. लेकिन अब फिर भारत की भूमि-पर-अध्यात्म-की-ज्योत तीव्रता से उभर रही है जब एक बार फिर भारतीय चिंतन, दर्शन एवं अध्यात्म से पूरे विश्व को आस बंधी है. उन्होंने कहाकि विश्व के पाश्चात्य वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं कि भारतीय आध्यात्म के बल पर अब तीसरा विश्वयुद्ध होने की कोई संभावना नहीं है. 

आज विश्व के अनेक देशों के संघर्षों से लगता है कि विश्व युद्ध की कगार पर खड़े हैं लेकिन फिर आस बंधती है कि ऐसा होगा नहीं. यह सब भारत की बरसों पुरानी थाती का परिणाम है जिसे हमें सीखने व समझने की प्रबल जरूरत है. डॉ. शर्मा ने यह भी सुखद संयोग रेखांकित किया कि ठाकुर परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को हुआ जबकि उसी वर्ष की 1 फरवरी को ब्यावर की स्थापना हेतु भूमि पूजन किया गया. 

कार्यक्रम में विवेकानन्द केन्द्र से जुड़े केदारनाथ शर्मा ने भी अपने सम्ंबोधन में भारतीय दर्शन व धर्म की सांस्कृतिक विरासत की विवेचना की. उन्होंने कहा कि सभी धर्मों का सार सत्य को सर्वोपरि मानता है, जीव दया से जुड़ा है और मानवीय मूल्यों का प्रबल समर्थक है. उन्होंने परमहंस व विवेकानन्द के संस्मरण भी सुनाये. कार्यक्रम में पूर्व जिला जज पीएस तोमर ने वर्चुअल संम्बोधित कर लाखीना में हो रहे आध्यात्तम व देशभक्ति के कार्यक्रम की सराहना की और छोटू काठात को बधाई दी. 

कार्यक्रम के दौरान आयोजक छोटू काठात ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए अतिथियों का पुष्पहार से अभिनन्दन किया तथा सहज व सरल शब्दों में आभार जताते हुए उन्होंने अपने प्रति दर्शाये स्नेह को लेकर अभिभूत भी हुए. मालूम हो कि समाजसेवी छोटू काठात एक विनम्र एवं सादगी से जीवन यापन करने वाले आध्यात्मिक पुरुष हैं जिन्होंने राष्ट्रप्रेम की अलख को जगाये रखने तथा मानव मात्र के प्रति स्नेह रखने की भावना को समाज में बल दिये जाने का भरपूर समर्थन करते हुए अपने निजी जीवन में भी उसे तरजीह दी है. 

वे सम्पूर्ण राष्ट्रकी एकता व अखंडता को प्राथमिकता देते हैं और जाति, धर्म, वर्ग व ऊंच-नीच की दीवारों से परे वे परमपिता से जुडऩे का आव्हान भी करते हैं. इस अवसर पर एडवोकेट निलेश बुरड़, गणपतसिंह मुग्धेश, डॉ. अंजना राठी, रमेश यादव, प्रशांत पाबूबाल, कपिल खण्डेलवाल तथा कल्पना भटनागर सहित अनेक वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम का प्रभावी संचालन प्रधानाचार्या सुनीता चौधरी ने किया.

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