सत्यम कुमार/भागलपुर. बिहार कृषि विश्वविद्यालय रोज नए-नए शोध कर रहा है. कृषि के क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए कई नई किस्म की बीज को भी बीएयू ने तैयार किया है. इसी कड़ी में शोध की गहन समीक्षा करते हुए कुलपति डॉ.डी.आर सिंह ने बताया कि कुल 90 शोध किए गए हैं. इसमें से दो नई प्रजातियां और तीन तकनीकों को काफी बढ़ावा भी मिला है. उन्होंने बताया कि धान का नया प्रभेद सबौर आयुष धान और गेहूं के प्रभेद को बिहार के किसानों के लिए काफी फायदेमंद बताया है. वहीं, उन्होंने बताया कि तीन नई कृषि तकनीक जिसमें सूक्ष्म जीवों द्वारा कृषि अवशेषों का अपघटन, डेरी गाय के वितरण के लिए सबौर फिड ब्लॉक व मगही पान में कटाई उपरांत रोगों का प्रबंधन की तकनीक को भी बिहार के किसानों के लिए लाया गया है.
धान का नया प्रभेद सबौर आयुष धान और गेहूं के प्रभेद किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा. सबसे खास बात की इस किस्म के धान में पानी की अधिक जरूरत नहीं पड़ेगी. 130 से 140 दिन में यह धान तैयार होगा. यह लगभग 60 से 70 क्विंटल पर हेक्टेयर पैदावार होगा. कम खाद पानी में भी अधिक पैदावार होगी. यह धान किसानों के आमदनी को और बढ़ावा देगा. इसे किसानों को काफी फायदा मिलेगा.
किसानों के लिए फायदेमंद होगी ये तकनीक
आपको बता दें कि अब बिहार में सबौर धान की खेती होगी. वहीं, मगही पान जो मगध का खास माना जाता है. उनकी कटाई उपरांत किसी प्रकार की कीट न लगे, इसको लेकर तकनीक इजात की गई है. इससे किसानों को और अधिक मुनाफा होगा. कुलपति ने इन नई प्रभेद और तकनीक को बिहार के किसानों को किया समर्पित किया. उन्होंने बताया कि यह किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा.
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FIRST PUBLISHED : September 23, 2023, 21:03 IST