पीड़ित आत्माराम
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बरेली के प्रेमनगर थाना क्षेत्र के जाटवपुरा निवासी आत्माराम तीन महीने से शरीर में गोली लिए घूम रहे हैं। उनका कहना है कि न तो पुलिस उनकी पीड़ा समझ रही है, न ही डॉक्टर। प्राइवेट डॉक्टरों की लिखी महंगी दवाएं खाने के बाद वह मुश्किल से सो पाते हैं। उनकी आवाज और व्यवहार भी बदल गया है।
30 जुलाई की रात जाटवपुरा में हुए गैंगवार में आत्माराम (50) की पीठ में गोली लग गई थी। घटना के वक्त वह बेटे की परचून की दुकान पर बैठे थे। फायर करने वाले आरोपी मालीबाड़ा के जतिन सैनी व विकास भाग निकले। वे बस से टनकपुर की ओर जा रहे थे। उस रात एक हादसे के बाद कांवड़ियों ने पीलीभीत जिले के जहानाबाद में जाम लगा रखा था। जाम खुलवा रही पीलीभीत पुलिस जब एक बस में हंगामा करने वालों को खोजने घुसी तो जतिन और विकास ने समझा कि उनकी तलाश करती प्रेमनगर पुलिस आ गई है।
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दोनों ने भागने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। वारदात में इस्तेमाल किया गया तमंचा भी उनके पास से बरामद हुआ था। पीलीभीत पुलिस ने दोनों को जेल भेज दिया था। अब इनमें से एक जमानत पर बाहर आ गया है। आत्माराम ने बताया कि वह अनुसूचित जाति से हैं। रिपोर्ट में एससीएसटी एक्ट और धारा 307 बढ़ाई जानी चाहिए, लेकिन विवेचक दरोगा सौरभ यादव न तो धाराएं बढ़ा रहे हैं, न ही डॉक्टर उनका ऑपरेशन कर रहे हैं।